गुरुवार, 1 जुलाई 2010

प्रेम कवितायेँ

विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं !
हम जल्द ही लिखेंगे तुम्हारे लिए...
'प्रेम कवितायेँ'.

जब,
बौद्धिकता के ऊसर खेत में,
मृत इतिहास के उर्वरक से पोषित,
'पालतू खरपतवार'
के बीच में से ही कोई,
'जंगली फूल' पल्लवित होगा.
जब,
'प्रेम' और 'कविता' का,
कोई भी यौगिक...
खालिस 'प्रेम कविता' होगा.
जब,
'लज्जा' और 'कौमार्यता'...
जैसे शब्दों के,
पुल्लिंग गढ़े जा चुके होंगे.
जब,
एकलव्य और अंगुली-माल के,
अनैतिक सम्बन्ध...
...समाप्त होंगे.
और जब,
लाल स्याही ख़त्म हो चुकी होगी,
 मेगी कि आराधना (लिओनार्डो डा विन्ची ) - यूफिजी, फ्लोरेंस

तब,
सरोकारों को मृत्यु दंड देके,
हम,अपनी कलम की नोक तोड़ देंगे.
हाँ  तब,
हे, विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं !
हम लिखेंगे तुम्हारे लिए...

...आखिर प्रेम कवितायेँ तो 'टूटी कलम' से भी लिखी जा सकती हैं.