शनिवार, 16 नवंबर 2013

कितना सुख था कि हर बार घर लौटकर आने के लिए मैं बार-बार घर से बाहर निकलूँगा

आत्महत्या सबसे बड़ा पलायन नहीं
उससे बड़ा पलायन है उसे टालते चले जाना
पलायन नाउम्मीदी की जाया नहीं
असंतुष्टि से जन्मी अदूरदर्शी क्रांति है
(कौनसी क्रांति दूरदर्शी रही है वैसे)
हारे हुए तो सब हैं
अपनी हार को खेल भावना के चलते
सहर्ष स्वीकार करना है पलायन
समर्पण भक्ति मार्ग का योगभ्रष्ट है यदि
तो ज्ञान मार्ग का भटका पलायन
पलायन में पूर्णता आने पर यकीन कीजिये
जब कुछ न होगा नकारने को
आप पलायन से भी पलायन कर जाओगे
सारे संरक्षित फोसिल्स के बीच
डो डो प्रजाति सा
पलायन नैसर्गिक है

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Title Courtesy : विनोद कुमार शुक्ल 

क्लॉकवर्क-ऑरेंज को देखते हुए



जो सफ़ल थे
केवल उनकी असफलताएँ दर्ज़ हैं इतिहास में
जबकि नदी, मछली और पहाड़ों की 'होती हैं' 
पूर्व निर्धारित भौगोलिक सीमा रेखाएं
मानव ने इतिहास से 'निर्मित किया' है उन्हें
झूठ है कि इतिहास दोहराता है अपने आप को
वास्तविकता यह है कि 
हम सोच-समझ कर दोहराते हैं उसे
किसी कैलक्यूलेटेड रिस्क के चलते
सोचता हूँ,
कैसे याद रखती होंगी बिल्लियाँ अपना इतिहास
और चूहे क्यूँ भूल जाते हैं अक्सर उसे?
जीवित रहने के लिए इतिहास आवश्यक है
लेकिन अंततः यही मार डालता है हमें
इतिहास के बाहर सब टाईम प्रूफ है
अमर।
"मैं हूँ क्यूंकि मुझे पिछला पल याद है"
इतिहास पैराडॉक्सियल साजिश है किसी की
या खुद हमारी ही भूल शायद
हमारे इगो को जिलाए रखने की
हमको लगातार अपमानित करते हुए
इतिहास जब हमारी सोच को परतंत्र बनाता है
तो सर्वप्रथम वो हमारी सोच में फीड करता है
"तुम मुक्त हो"

एक अधूरी कविता भी होती है कविता

हमारा अस्तित्व दूसरे क्षण से प्रारम्भ हुआ दरअसल
हम कभी पहले क्षण में थे ही नहीं
हम हैं क्यूंकि हमें पिछला पल याद है
स्मृतियाँ ही अस्तित्व हैं
वो दूसरा क्षण ही प्रथम क्षण था 'होने' का
अपने पूर्व की स्मृति लिए हुए।
पहला पल जानना था
जानना द्वेत नहीं
द्वेत है ये जान लेना कि जान गये
यही था दूसरा क्षण

सब जान लेने के बाद भी बचा रहता है
जानने को जानना
और इसलिए
एक अधूरी कविता भी उतनी ही कविता होती है
पूर्णत्व की कोई परिभाषा नहीं होती
और जो भी परिभाषा है वो स्वयम पूर्ण नहीं है
अधूरेपन को परिभाषा की आवश्यकता ही नहीं

हम केवल देखते भर ही नहीं हैं सत्य
हम पहले निर्मित करते हैं उसे
और लगभग साथ-साथ उसे ग्रहण करते हैं
देखते हैं उसे।
हम अपनी रचनाशीलता से इतने मुग्ध हैं कि
न देखने वाले को देख पाए कभी
न बनाने वाले को।

कविता, इश्वर, मृत्यु और प्रेम
अकेले हैं अपने समस्त अधूरेपन के साथ
एक अधूरी कविता भी होती है कविता।

कौन मरा है भला आज तक

‘निर्वाणा’ बैकग्राउंड में चल रहा है.
कम एज़ यू आर...
और इस वक्त लिखने का बिलकुल भी मन नहीं.
इस क्षण की मनः स्थिती मेरे अस्तित्व का डी एन ए है...
सबसे क्षुष्मतम इकाई
तथापि, मेरे अस्तित्व की सारी आवश्यक जानकारी अपने आप में समेटे हुए
तो इस वक्त ‘भी’ लिखने का बिलकुल मन नहीं है.
शायद इसलिए ही लिख पा रहा हूँ.
फेसबुक में एक पर्सनल मैसेज पॉप अप होता है...
“आप सबसे ज्यादा किस चीज़ से डरते हो?”
“मृत्यु से”
“लेकिन आप तो कहते हो कौन मरा है भला आज तक?”
“इसलिए ही तो डरता हूँ”
दूसरों के प्रश्नों के उत्तर देते वक्त मुझे उन प्रश्नों के भी उत्तर मिलते रहे हैं
जो प्रश्न (उत्तर नहीं) मुझे आज तक ज्ञात ही न थे.
अकेलापन एक गर्भवती त्रासदी है
जो अतीत में सदा विक्षिप्तता ही जनती आई है
“तुम कितनी बकवास बात करते हो न आजकल?”
“हाँ ये अच्छा है.”
म्युज़िक प्लेयर्स में शफल का ऑप्शन
विचारों को विचार करके ही बनाया गया है.
गीत बदल चुका है...
...लव विल टियर अस अपार्ट अगेन.

पानी गीला क्यूँ होता है ?



मैं चाहता हूँ नदी को नदी की तरह लिखना

जिसमें पानी का गीला-पन हो
और बहाव हो
और उसके आस पास हो हरियाली
(बसंत में पीला-पन भी हो)
एक एक डिटेल हो 
और वो डिटेल ‘डायनेमिक’ हो 
लेकिन ये चित्रकारी न हो 
उसमें आवाजें हो कल कल 
(‘कल कल’ शब्दशः लिखना भी ‘कल कल’ नहीं है 
जैसे
फूल शब्दशः लिखना फूल नहीं है
दुःख को ‘दुःख’ लिखना नहीं होता, ‘दुःख’ को लिख लेना)
हम सफलता प्राप्त कर लेंगे एक दिन त्रिआयामी चल-चित्र बना सकने में,
और भर सकेंगे उसमें गंध और सम्वेदनाएँ
और कल्पनाओं को वास्तविकता के समतुल्य खड़ा कर देंगे
----जैसे आज तक करते आये हैं---- 

तुमसे प्रेम करना



तुमसे प्रेम करना एक निहायत ही ग़ैर जरूरी चीज़ रही हमेशा मेरे लिए.
जिया जा सकता है एक दूसरे के बिना भी
शायद उससे ज्यादा अच्छे से जितना साथ में रहकर. 
जरूरत नहीं हमें एक दूसरे की
ये और बात है कि हम 'चाहते' हैं एक दूसरे के साथ जीना.
तुम खाने, पीने, सांस लेने या सू सू करने जैसी कोई आवश्यकता नहीं हो मेरे लिए.
केवल इच्छा हो मेरी,
इच्छा,
जैसे वॉंग कोर वाई की इन दी मूड ऑव लव देखना. 
जैसे पैसोवा के किसी ज़ेन हेट्रोनिम को पढना.
जैसे हरी प्रसाद चौरसिया का हंसध्वनी सुनना.
जैसे पढना कसप को बेबी की खातिर
...बार बार.
इच्छा,
जैसे नहाने के बाद गीले बदन माइल्ड्स का एक कश,
जैसे स्वप्न देखना.

बेशक जीने के लिए 'जरूरी' चीजें चाहिए, मगर जीते हम ग़ैर जरूरी के वास्ते हैं.
सांस लेने हुए मर जाने की जरूरत के बीच में तुम विन्सेंट का ग़ैर जरूरी अंतिम सूरज हो मेरे लिए.
ग़लत कहते हैं लोग कि प्रेम जीने के लिए जरूरी होता है.
प्रेम के 'लिए' जीना जरूरी होता है.
प्रेम इच्छा है और जीना आवश्यकता.
आज़ादी और बंधन में वही अंतर है जो इच्छा और आवश्यकता में है.

दो अंतरालों के बीच




अगस्त का महिना हमेशा जुलाई के बाद आता है,
ये साइबेरियन पक्षियों को नहीं मालूम
मैं कोई निश्चित समय-अंतराल नहीं रखता दो सिगरेटों के बीच
खाना ठीक समय पर खाता हूँ
और सोता भी अपने निश्चित समय पर हूँ
अपने निश्चित समय पर
क्रमशः जब नींद आती है और जब भूख लगती है
इससे ज़्यादा ठीक समय का ज्ञान नहीं मुझे
जब चीटियों की मौत आती है, तब उनके पंख उगते हैं
और जब मेरी इच्छा होती है तब दिल्ली में बारिश होती है
कई बार मैंने अपनी घड़ी में तीस भी बजाए हैं
मेरे कैलेंडर के कई महीने चालीस दिन के भी गये हैं
मैं यहाँ पर लीप ईयर की बात नहीं करूँगा 
(मुक्ति और आज़ादी में वाह्य और अंतस का अंतर होता है।)

मध्यमार्ग


बस इतनी भर रहें उम्मीदें,
जितनी जरूरी है एक,
कोई भी एक दर्द सांझा करने के लिए
जिसमें लॉस वेगस के कैसिनो और घाना की मौतों में
बना रहे सांख्यिकी का समभाव
जिससे सरहदें न भी टूटे तो भी
मोनालिसा दुनियां के हर कोने से मुस्कुराती दिखे
वे सही कहते हैं, विकास गली-गली पहुंचेगा तो रुक जाएगा अंततः
पर एक मछुवारे के जाल में हमेशा फंसती रहें मछलियाँ
कम अस कोई कम एक किताब में मिले हर घर में
और जो धर्म ग्रन्थ न हो
न हो दोनों वक्त का भोजन
आधी से अधिक आबादी के लिए
पर भूख आधी न करे आबादी
 एक इतवार हो राजनीति के लाल हरे और भगुवा रंगों का
पिकनिक स्पॉट की उम्मीद नहीं वियतनाम में
किन्तु उतने ही मूल्य की शराब बाँट दी जाए वहां
जितने की ऐ.के. 47 खरीदी जाती रही हैं अतीत में
 टूरिज्म डेस्टिनेशन न भी बन पाए काबुल
पर माइन्स के लिए शहर से कोई अलग जगह निर्धारित हो
मुझे बताओ,
यदि सारी अन्तरंग प्रेम कविताएँ
नग्न करके बेच दी जाएं टाइम्स स्केव्यर में
क्या तब भी नहीं खरीदी जा सकती कश्मीर की एक बूढ़ी, पोपली, मुस्कान?
बोलो उम्मीदों से इतना तो किया जा सकता है न,
बोलो उम्मीदों की ख़ातिर इतना तो किया जा सकता है न?
(दुनियां की सरहदों की प्रासंगिकता 'ओलम्पिक्स' के अलावा और कोई नहीं लगती मुझे)

पवास्ग



बड़ी प्यारी चीज़ें हैं सब, चलो माना
सारी कि सारी रहेंगी हमेशा, चलो माना
सुख ही सुख है जीवन में, चलो माना
पर, किस तरह छुपाये गए होंगे मृत, मरीज़ और बूढ़े ?
दे लिव हेपिली एवर आफ्टर
लाइफ इज़ गुड
नेवर नेवर नेवर गिव अप
पर,देखना इन बस्तियों को तुम कि वीराँ हो गयीं.
... आनंद उतना ही आसान है जितना जीवन
पूछो मत, सोचो मत
छुओ, देखो, महसूस करो 
वास्तविक पीड़ा सोची नहीं जा सकती, आनन्द भी नहीं.
मैं शब्दों कि सत्ता को नकारता हूँ
नहीं कह सकता मैं
रोने को
बू हू हू हू सुबक सुबक
और मुस्कुराने को
ही-ही-ही
जानती हो मैंने गढ़े है कुछ नए शब्द
पडत, सोप्फं, मफहवे और पवास्ग
इनके मायने तुम लगा सकती हो
प्रेम, इश्वर, सत्य, जीवन
"शब्दों से व्यक्त और अव्यक्त में कोई अंतर नहीं आना"

पियूष मिश्रा को सुनते हुए

चलो भागो यहाँ से
मेरे पास तुमको देने को
स्वर्णिम भविष्य नहीं
कोई ऐसा सपना भी नहीं
कि तुमको चाँद में रोटी नज़र न आए
न मैं आत्मविश्वास के साथ कर सकता हूँ
सुहानी सुबह के झूठे वादे
क्यूँकि तुम फिर अपनी
कातर आँखों, अंदर धंसे पेट और जुड़े हुए हाथों से
बंजर शब्दों में एक और उम्मीद की फसल पैदा करने में सफल हो जाओगे
ज़िंदा बचे रहने की आशा फिर तुम्हें जिलाए रक्खेगी
जिससे होगा ये
मृत्यु को हरा चुकने के बावज़ूद
तुम दोगे उसे अभयदान
तो नहीं
आज रात भी मेरे पास तुम्हारे वास्ते
'सच में' कुछ नहीं
बस इस कविता के सिवा
जिसे आधी आधी बाँट सकते हैं हम
क्यूँकि तुम्हारा पता नहीं
पर मैं भूखे नहीं सो सकता





निःशब्द का अरण्य


शब्द
ऐसे छूते हैं सत्य
जैसे कोई शहर छूता हो जंगल
अपनी पूर्णता से पहले
बहुत दूर तक चलते हैं
शहर और जंगल साथ साथ
बहुत देर तक रहता है
सत्य में शब्दों का हस्तक्षेप
घनी आबादी से निकल चुकने पर भी
कहना मुश्किल है
कौन सा घर अंतिम घर होगा
किस कुएं के बाद
कोई दूसरा कोई कुआँ न मिलेगा
क्या होगा अंतिम परिचित दृश्य
मुश्किल है कहना
कौनसी कविता
होगी अंतिम कविता

Revolution Remixed

जब विश्व समाज सुधार की बात कर रहा था
जब पूरे संसार में क्रांतियाँ हो रहीं थीं
जब सारे देश जल रहे थे 
और जब 
एक अनंत काल तक चलने वाले युद्ध की तैयारियाँ चल रही थीं...
...तब मैं प्रेम में था
वो सब मुझे धिक्कार रहे थे
मेरे इस कुकृत्य के लिए
मुझे तब भी लगा
प्रेम सारी समस्याओं का हल है
मैंने एक वैश्या के होठों को चूमा
और एक सैनिक की चिता में दो फूल चढ़ाए
मैंने एक भिखारी के लिए दो आँसूं बहाए
और फिर,
मैं एक अस्सी साल के बूढ़े के बगल में बैठकर बाँसूरी बजाने लग गया
...न मैं कृष्ण था न नीरो



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अगर वादा करते हो कि ये क्रांति अंतिम है
तो भी मैं प्रस्तुत नहीं हूँ इसके लिए
क्यूँकि मुझ देखने हैं इसके दीर्घकालिन परिणाम
अगर कहते हो
ये चैन से बैठने का समय नहीं
और सारे राजनेताओं,कार्परेटों ने छीन ली तुम्हारी रोटी
तो बताओ कहाँ से खरीदे तुमने हथियार ?
जो तुम्हारी आत्महत्याओं के जिम्मेवार थे
तुम बन रहे उनकी हत्याओं के जिम्मेवार
सत्ता में जब तुम आओग
तो क्या एक और क्रांति नहीं होगी
तुम्हारे खिलाफ?
अगर तुम धर्म की खातिर लड़ रहे हो
तो बोलो
तुम्हारे ईश्वर ने क्यूँ बनाए अन्य धर्म
तुम जैसे अच्छे लोगों को ड्रग्स की डोज़ दी है तुम्हारे ईश्वर ने
बोलो कहाँ लड़ा जा रहा है संपूर्ण विश्व केलिए युद्ध
ऑल इन्कलूज़िव
सर्वजन हिताय
है एक ऐसी जगह
लेकिन उसके लिए पहले
बाँसूरी बजाना सीखना होगा

Donnie Darko को देखते हुए



सात और आठ के बीच भी हैं
कई और संख्याएँ.
अनंत दिशाएँ हैं,
प्राची और उत्तर के बीच.

नहीं और हाँ के बीच में 
ढेर सारी हिचकिचाहटें 
...और उनकी व्याख्याएँ

जीवन और मृत्यु के मध्य में है
वर्तमान

पीड़ा और आनंद के बीच पेंडुलम सा झूलता अस्तित्व
होने न होने के मध्य में स्मृतियाँ
स्वप्न और वास्तविकता के बीच
-तुम!

कितने ही तो अनकहे सम्वाद ठहरे
किन्हीं दो में से दोनों के.

वे कहते हैं, "आत्मा और शरीर के बीच मन जैसी कोई चीज़ होती है"
जैसे, होने न होने के बीच हमारी इच्छाएँ
इच्छाएँ, न केवल पाने भर की ही
कुछेक खो देने की भी !

क्या कविताएँ नहीं हैं मौन एवं शब्दों के कहीं मध्य में?
किसी न्यूट्रॉन सी तटस्थता सदा ही पसरी रही है
छूने और छोड़ देने के बीच

जैसे निश्चितताओं के दो छोरों के बीच
सम्भावनाएं
वैसे ही क्या भय और प्रेम के दो छोरों के बीच कुछ भी नहीं?

आई बैग योर पार्डन




सम्बन्धों का वो सबसे बुरा दौर है 
जब हम भूल चुकते हैं एक साथ रोना
वो जीवन का सबसे दुखद क्षण ठहरा,
जिसमें हम ढूंढते हैं जीने का कम-अस-कम एक उद्देश्य 
एकांत का वो एक पल सबसे मुश्किल पल है
जिस पल एकांत ‘निजी’ नहीं होता
नाउम्मीदी की उम्र कैद कहीं बेहतर,
कठिन है उम्मीद की एक रात गुज़ारना 
धोखा खाना उतना बुरा नहीं 
जितना बुरा होता है सचेत हो जाना.
आत्महत्या की भी चाह न रहना,
सबसे खतरनाक निर्लिप्तता है.
सबसे डरावनी वो मृत्यु है जिसका आजन्म इच्छा की गयी हो

एक याद रह गयी कविता है सबसे निकृष्ट कविता.

शुक्रवार, 15 नवंबर 2013

कुछ फेसबुकिया बकबक (वो क्या कहते हैं वन लाईनर)


बारिशें पूरी बह चुकी थी, मगर कुछ दीवारों पे अब भी सीवन सी थी. 
....पलकें देखीं तुमने मेरी?

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रात रात भर जाग कर पढ़ा है तुझे, कई बार रिवीजन भी किये हैं तेरे, 
जिंदगी मगर तेरे सवाल आउट ऑव सिलेबस हैं.
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हर पल मुझमें जो इक आग लगती है न छोना, 
वो हर अगले पल बुझ जाती है, 
तूने भी तो मुझे चेन स्मोकर कहा था
हर टाल दिया गया ग़म 
बंद कमरे के ऊपर मंडराता सिगरेट का धुंआ है
घूम घूम कर आँखों में चुभता है

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आज़ादी क्या है? 
बंधन क्या है? 
जाना है कभी तुमने इन्हें करीब से?
"तुम खुद को मुझसे मत छीनो प्लीज़, तब भी नहीं जबकि तुम मेरी खातिर ऐसा कर रही हो."

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कभी कभी आज़ादी का मतलब स्वेच्छा से चुनी ग़ुलामी और ग़ुलामी का मतलब थोपी गयी आज़ादी भी होता है।

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कैसे समझाऊं तुम्हें एक सीधी सी बात, 
जानते हो, तुम मेरे प्रेम के लायक केवल इसलिए हो पाए थे क्यूंकि मैंने तुम्हें प्रेम किया था।
मेरे अंतस के अनंत अव्यक्त का मात्र एक क्षुद्र मूर्त थे तुम।
मुझे आज भी लगता है मेरे प्रेम में बंधना एक मात्र मुक्ति थी तुम्हारी। किन्तु तुम मुक्त नहीं हो सके, क्यूंकि तुम बंधना नहीं चाहते थे।
आना कभी फिर अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को लेकर मेरे पास। देखना तब लाखों अपने से भी विशाल शुद्ध-अहंकार मेरे शून्य-प्रेम के भीतर...
...अन्यथा दूर से तो छोटी ही दिखेंगी चीजें।

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तुम्हारे पहलू में सर रखकर सोया था एक रोज़, कितना निश्चिन्त होकर ! तब से अब तक गर्दन में खंजर के निशान हैं.
यकीन है, तुमने न दिए होंगे !
'शोना'

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समाज के व्यापक हित के लिए कुछ ऑटोबायोग्राफ़ीज़ लिखे जाने से पहले ही बैन हो जाती हैं.

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दसियों बार दिल टूटा है तब जाकर ये एटीट्यूड आया है...
...आप अपना प्रेम रख लीजिये मैं अपना एटीट्यूड रख लेता हूँ।

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मुझे इस बात का भी आश्चर्य है कि लोगों, तुम्हें आश्चर्य क्यूँ न हुआ?

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और जब हजारों साल बाद हैकर्स को हम दोनों के पासवर्ड पता चलेंगे, तब हमारे इमोटिका सदा सदा के लिए अमर हो जायेंगे।

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"फ़ेसबुक भी उतना ही वर्चुअल है जितनी ज़िन्दगी।"

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वो जो इश्क था, वो तो मुफ़्त था, 
ये जो हिज्र है, ये टैक्स है।

मैं किसे कहूँ मुझे प्रेम कर,
यहाँ सब के माइंड में....

(देखा कहा था न!)

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तंज़ मेरे यूँ तो ज़माने के लिए हैं,
कुछ 'स्टेट्स' फ़कत उनको चिढ़ाने के लिए हैं। 

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मेरे लिए नारी मुक्ति का इतना सा अर्थ है कि 'एक स्त्री को एक से अधिक प्रेम करने की स्वतन्त्रता होनी चाहिए।'

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दर्पण से प्रेम करना, ख़ुद से प्रेम करना है

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और फ़िर एक दिन सारे आनन्द मनाते जीव, जन्तुओं, शैवालों, वनस्पतियों, मशरूमों, मछलियों एवं पक्षियों आदि से इश्वर ने खीजकर ये वचन कहे,"बेट्टा ले लो चौरासी लाख जन्मों के मज़े, एक दिन तो बनोगे न मनुष्य भी तुम सबके सब।"

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है कुछ ऐसी बात जो एबस्ट्रेक्ट है वरना,
क्या मुझे स्ट्रेट फ़ॉरवर्ड बातें नहीं आती।

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हम कई नये रिश्ते पुराने असफल रिश्तों का बदला लेने के लिए बनाते आये हैं। दूध का जला सबको उबलता दूध पिलाता है। और इस तरह ये चैन रिएक्शन एक दिन सबके मुंह जला चुकता है।

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सत्य जानना हर कोई चाहता है पर इसे अफोर्ड कर पाना मुश्किल होता है।

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यादें कितनी ही बुकमार्क कर लें, आयेंगी बेतरतीब ही।

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प्रेम की हैप्पी इन्डिंग नहीं हो सकती,
प्रेम की कोई इन्डिंग ही नहीं हो सकती।
जो चीज़ शुरू होती है, वो खत्म होती है अग़र
फ़िर प्रेम कब शुरू हुआ था बोलो?

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दो आधे शुरुआत में जुड़ते हैं और बाद में द्विगुणित हो जाते हैं।

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हम सब खुद से हारे हुए लोग हैं। हमारे सर अहम से तने हुए हैं लेकिन आत्माएं जैसे किसी ईर्ष्यालु पति की पत्नी की कनपट्टी पे थोड़ी देर पहले तक तनी पिस्टल। फुल्ली लोडेड।

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कुछ चीजों का उद्देश्य उनके निरुद्देश्य होने में निहत है। जैसे प्रथम असफल प्रेम, रोज़ रात को फेंक दिया गया ब्लूबेरी केक, कुछ चाबियाँ, होठों से होठों में लगी आइसक्रीम साफ़ करना किसी पेस्ट्री शॉप की विडिओ डायरियां और आधी नींद में मुक्स्कुराना।

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बात बस इतनी है कि तालों के चेहरों में इंतज़ार दिख जाता है, अन्यथा चाबियाँ गुच्छों में भी अकेली हैं।

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कई बार असफलताएं आपको सुख देती हैं, जैसे किसी के भी ऊपर विश्वास न करने की ढ़ेरों असफल कोशिशें।

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इश्वर बढ़िया स्क्रिप्ट रायटर है, लेकिन उसकी कविताएँ ज़्यादा बेहतर हैं।
एनी टाइम।

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ईर्ष्या एवं घृणा के मध्य 'सम्मान' की पतली रेखा है।
Between Jealousy and Aversion, There is a fine line of 'Respect'.

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स्व-घोषित अवसादों में बने रहना, बदला लेने का एक अन्तर्मुखी तरीका है। 
Being in self-proclaimed depression is an introvert way of taking revenge.

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अपने दुख के एवज़ में प्रेम की चाह करना अपने स्व को अपमानित करना है। 
Seeking Love in exchange of sadness is humiliating one's own self.

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एक झूठ हज़ारों झूठ का बायस है, न केवल उस पहले वाले को छुपाने हेतु, अपितु पहले वाल ेकी सफलता से उत्साहित होने के कारण भी।
One lie leads to thousand, not only to hide the first one, but also after getting motivated with the success of the first one.


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अवसाद से सांत्वना रखो रिश्ता नहीं। 
अवसाद सदैव एक व्यक्ति से उतरकर दूसरेपर चढ़ जाते हैं। 
ऐसे किसी भी रिश्ते में एक ग्लानी युक्त व्यक्ति अपनी ग्लानी कम करनेके लिए आपको लगातार ग्लानी देता रहता है। 
Feel pity for depression but don't get into it. Depressions are contagious.
In any such relationship, a guilt-concise person will keep on giving gilt to you, in order to get rid of his own.

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एक पाखंडी प्रेम और नफ़रत में भेद न कर पायेगा। प्रेम और नफ़रत दोनों ही पवित्र* आत्मा के द्वारा सम्भव हैं। 
(*'अच्छे' और'पवित्र' में अंतर है।) 
A Hippocratic can't differentiate between love and hatred. Love and hatred is only possible for a pure* soul. 
(*There's difference between 'pure' and 'good'.)

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चीजों को नज़र से देखना चाहिए, नज़रिए से नहीं।
View things, but not with views.


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लिख के ले लो कैसिनो में वे ज़्यादा टिप देते होंगे जो हार रहे हैं।
जो जीतते रहे हैं उन्होंने संरक्षित कर लिया जीता हुआ।

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अतीत में किया गया एक पुण्य वर्तमान के अनंत पापों की प्रेरणा है।


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When you are a victim you question,"Why is this entire world so?"
When you are a culprit you answer,"This is the way, entire world is."

जब आप पीड़ित होते हो तो आप पूछते हो,"ये दुनियां ऐसी क्यूँ है?"
जब आप दोषी होते हो तो आप ही उत्तर भी देते हो,"ये दुनियां ऐसी ही है।"

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अपने अंदर के साधू को मार डालो, उसके द्वारा पोषित शैतान भी मर जाएगा।

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प्रेम हो तो छुपाना पड़ता है, न हो तो जताना पड़ता है।
मैंने देखीं हैं तुम्हारी दोनों मजबूरियां।

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नज़र और बद्दुआ दोनों अस्तित्वहीन होती हैं। अच्छे लोग लगाते और देते नहीं, बुरों की लगती नहीं। 

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You need to be very conscious while ignoring.

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मुझे आप लोगों से सांत्वना इसलिए है क्यूंकि एक क्षण पूर्व मैं भी आप जैसा ही था।
जानता हूँ आपको भी मुझसे सांत्वना है क्यूंकि एक क्षण पूर्व मैं भी आप जैसा ही था।


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मुझे आश्चर्य इस बात पे नहीं होता कि हम अनन्तता को समझ नहीं पा रहे, मैं हतप्रभ इस बात को लेकर होता हूँ कि हम अनन्तता को कैसे आयामों में बाँध पाने में सफ़ल हुए?

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पीड़ित व्यक्ति के लिए दोषी को माफ़ करना मुश्किल नहीं है।
मुश्किल है इस सत्य पर विश्वास करना कि पाप कुछ नहीं होता।

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Live in Moments, not in Fragments.

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नर्क और कुछ नहीं बस स्वर्ग से पैदा हुई ऊब है।
स्वर्ग और कुछ नहीं बस नर्क से पैदा हुई उम्मीद है।

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When you start feeling pain of yours then you start feeling pain of others.
Everything else is Philanthropy,an ugliest form or exploitation.

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Off-course I agree now, that, there is no pain and pleasure. But mind it, it was very painful journey till here.

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I get amused with the sheer fact that how much it's written against writing.
However, what amuses me more is that most of it sounds right.

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Everything you do, no matter how creative it sounds, you follow.
The purest form of creativity is nothing-doing.

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Your questions are not different than "Mirror-mirror-on-the-wall" question...
...Nobody is interested in truth,what you are interested in, is, what you are interested in.

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If you can't do much about it, live the life, the way it is.
If you can't do much about it, leave the life, the way it is.
If you can't do much about it, love the life, the way it is.

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Religion can't be a derivative of intelligence.
A true intelligent individual would be anything, but religious.

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You are the best person in your opinion, yet you hate yourself.
Now, if you hate the best person in the world, how can you love anyone else?
Should it not be vice-versa?
(Be the worst person in your opinion, and still love yourself. In this way you will by default love everyone.)

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Everything said or written ever is false...
...Trust me.

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Don't trust me, I am bad. 
But trust me, I am not that bad.

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वैसे तो कोई भी अहद ज़िन्दगी भर के लिए नहीं होता पर ज़िन्दगी भर के लिए किये गए अहद की उम्र सबसे छोटी होती है।

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प्रेम, सन्दूक में रखे गुलाबी मफ़लर सरीखा होता है। अप्रासंगिक होते हुए भी आपका ध्यान अपनी ओर आकर्षित करता है।

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या अल्लाह, ओह माई गॉड, हाय रब्बा, हे इश्वर...
लडकियों के मुंह से वो ऊपर वाला भी क्यूट लगता है।

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तुमने कहा कि प्रेम है तुम्हें मुझसे,
मुश्किल से एडजस्ट कर पाया।
तुमने कहा अब नहीं रहा, मुश्किल से एक्सेप्ट कर पाया।

तुम अब्र सी गोया रुक रुक के बरसती हो। मैं गीली मिटटी सा सूखने को तरसता हूँ।

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मेरी सम्वेदनशीलता निश्चित करती है कि किसी को हानि न पहुँचाऊ।
मेरी बुद्धिजीविता निश्चित करती है कि कोई मुझे हानि न पहुंचा पाए।
और मैं निश्चित करता हूँ कि मेरी सम्वेदनाएँ और बौद्धिकता एक दूसरे को हानि न पहुंचाए।

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आदमी जितनी तेज़ी से गिरता है उतना हल्का महसूस करता है। 
होता नहीं है बस महसूस करता है।
हल्का वास्तव में होता तो गिरता नहीं...
...उठता।

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मैंने देखा है, अच्छा इंसान बनने के लिए, सबसे प्रचलित रास्ता है, अपने से बुरा इंसान ढूंढना।

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दुनिया का सबसे कमज़ोर व्यक्ति दुनिया का सबसे मज़बूत व्यक्ति भी होता है। क्यूंकि वो अपनी समस्त कमजोरियों के बावजूद सर्वाइव करता है।

Even the weakest person in the world is the strongest person as well, because despite all his weaknesses, he survives.
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वैसे तो मैं इसे कोइन्सिडेंट कहूँगा देवदास, पर क्या ये सच नहीं कि दिल, दुनिया, दर्द, दीवारें और दिल्ली बार बार बनती उजड़ती रही हैं।
और सातों 'द' अक्षर से शुरू होते हैं।
छठी और सातवीं कौन?
छठे तुम देवदास, तुम!
और सातवाँ?
छोड़ो देवदास गिनती। 
मज़े की एक और बात सुनो 'द' से 'दस' तक की गिनती के बाद तो गिनती भी उजड़ जाती है। फिर उन्हीं पुराने अक्षर को लेकर बनाओ ग्यारह...

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दिल के ठीक सेंट्रल एरिया में, जिसे कोर ऑव दी हार्ट कहते हैं, एक ज्वालामुखी दबा पड़ा है। किन्तु इसके युगों से सुषुप्तावस्था में रहने के कारण ह्रदय की भूमि अब उपजाऊ हो चली है। यहाँ पर प्रेम और करुणा जैसी वनस्पतियाँ भी पनपने लगी हैं। वैज्ञानिकों का अनुमान है कि जवालामुखी के अगले सौ वर्षों तक भी सक्रिय होने की कोई सम्भावना नहीं है। छोटे मोटे भूकंप आपेक्षित हैं ब्स।
...तुम यहाँ अपना घर बसा सकती हो।


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Happiness and Sadness are 'Deeply rooted habits' not the 'Destiny'.

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दुनिया में तीन ही प्राकृतिक रंग हैं; सृष्टि का, क्रान्ति का और तुम्हारी आँखों का।


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कहाँ ज़िँदगी मेँ कोई पल रहा है,
समय तेज़ रफ़्तार है, चल रहा है ।
डराना नहीँ चाहता मैँ तुझे, पर,
तेरे आज सा ही मेरा कल रहा है ।

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Feeling is important, not knowing.
Earlier I knew this, Now I can feel it.

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पूर्ण स्वार्थी उस बच्चे के समान होता है जो अपनी भूख के कारण रोता है बजाय सौतेली मां की इर्ष्या की वजह से..
पूर्ण स्वार्थी वो होता है जो अपनी चोट को देखता है..बजाय आपके खंजर को...
क्या फ़र्क पड़ता है डंडा कोई मारे या लकड़ी पेड़ से टूटके सर पे गिर जाए !
पेड़ पे गुस्सा नहीं आता तो किसी और पे क्यों..?

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तुम हाँ भी कहते हो, और कहते भी हो रीड बैकवर्ड...

...HAAN ?

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I will always be with You,
You just always be 'You'.

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Science and Logic are all work of fiction. It's only Art what's real.

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Once Universe was perfect.
Since 'Big Bang' it's just a consequence of perfection.


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यदि आप हमें प्रेम गीत गाने की स्वतंत्रता नहीं देते तो भविष्य में निश्चित ही आपको मर्सिया सुनना पड़ेगा।


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हम उस पल वृद्ध हो जाते हैं जिस पल से मरने का इंतज़ार करने लगते हैं।

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अपराध की स्वीकारोक्ति का क्षण, संयोग से प्रायश्चित का प्रथम क्षण भी होता हैं।

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आप सबसे अधिक घृणा उस व्यक्ति से करते हो जिस व्यक्ति सा आप कभी नहीं बनना चाहते, परन्तु सबसे अधिक ईर्ष्या उससे करते हो जिस व्यक्ति सा बनना आपका सदैव स्वप्न रहा है।
उपर्युक्त दोनों प्रकार की मनोभावनाएं अगाध प्रेम में परिवर्तित हो सकती है। इस परिवर्तन में आपकी 'आत्मग्लानी' उत्प्रेरक का कार्य करती है।
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विश्व में होने वाली प्रत्येक मृत्यु मेरे अमरत्व का प्रमाण है ।

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Be extremists. Do everything in extreme.
Love, Hate, Enjoy, Get depressed, Weep, Write, Read, Talk, Play...
And if don't want to do anything whatsoever, then too...
...Be Extremist !

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'ज़िन्दगी'
कितनी छोटी होती है न,
"बस इसे बीतते हुए ही देखा है, होते हुए नहीं."

ज़िन्दगी,
कितनी लम्बी होती है ना ?
"ज़िन्दगी भर चलती है."

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हर उम्र में हम किसी एक के उम्र लिए बड़े हो चुकते हैं.

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किसी कवियत्री को प्रेमिका मत बनाओ।
वो आपके "आई लव यू" को भी क्लिशे कह देगी।

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If silence speaks louder than words, I would prefer words over silence to avoid the loudness.