गुरुवार, 27 अगस्त 2015

स्मार्ट फोन की तितली में तितलियों से ज़्यादा रंग हैं

चूक गया हूँ
बहुत बड़े मार्जिन से
मैंने कोई ऐसी स्त्री तो नहीं देखी
जिसे दिल तोड़ने की मशीन कहा जाता है
मगर मैं जानता हूँ एक ऐसे शख्स को
जिसे आप उम्मीद तोड़ने की मशीन कह सकते हैं
जो घमंडी है, सेल्फ - ओब्सेस्ड है
हारा हुआ है (अनंत बार)
कुंठित है अस्तु
कितना सब कुछ है सोच में,
मग़र सब रिपीटेटिव
और अगर कुछ नया है भी
तो एक बिज़नेस प्लान
"अतीत में लिखे गए को एक रुपया प्रति शब्द कैसे बेचा जाय?"
अगर आज मैं स्त्री की बात करूँ तो वो रुग्ण होगी
अगर आज मैं चिड़ियाँ की बात करूँ तो उसके पंख मटमैले होंगे
अगर आज मैं गाँव की बात करूँ तो उस तक सड़क नहीं पहुंची होगी
अगर आज मैं क्रान्ति की बात करूँ तो वो जुटाए गए तथ्य और कोरी साख्यिकी होगी.
अगर आज मैं रात की बात करूँ तो वो चोर उचक्के, रेव पार्टीज़, हनी सिंह और माइग्रेन की बात होगी
शाम का मतलब मेरे लिए नेशनल हाइवे एट का जाम होगा
सुबह एक हैंगओवर होगी
दिन होगा हज़ारों स्ट्रगल और टारगेट एडहियरऐंस से लबरेज़
सरोकारों में ऍन. जी. ओ., चेरिटेबल म्यूज़िक नाईट्स, पेज थ्री और डोनेशन्स होंगे
इनमें से कुछ भी कविता नहीं
स्मार्ट फोन की तितली में तितलियों से ज़्यादा रंग हैं
ऍन. एस. डी. के नाटकों में संवेदनाओं से ज़्यादा आंसू हैं
फ़ेसबुक के स्टेटसों में सरोकारों से ज़्यादा विचार हैं
बारिशों में भीगने से ज़्यादा जतन हैं
पहाड़ों में घूमने से ज़्यादा डर
जब आपको अपनी नींद सबसे प्यारी लगे
समझ जाइए, वास्तविकता कुरूप हो चुकी है
जब आपको अतीत में रहना रुचिकर लगे
जान जाइए अपने वर्तमान की अप्रासंगिकता
जब आपको किसी की छोटी से छोटी सफलता से कोफ़्त होती हो
निश्चित है कि आप बुरी तरह से असफल हो चुके हैं
ख़ुशी की परिभाषा अब इतनी है बस कि
शरीर कही भी नहीं दुःख रहा
ये भी तो कई दिनों में एक बार नसीब होती है
मुझे मृत्यु से भी ज़्यादा डर परहेज़ से लगता है
चश्मा लग जाएगा कल
परसों हियरिंग एड्स
उसके अलगे दिन शायद हार्ट ट्रांसप्लांट हो
चाहे मैं अपनी मर्ज़ी से ताउम्र न खाऊँ भिन्डी
लेकिन वो नरक होगा मेरे लिए
अगर मेरी प्लेट से हटा दी जाय वो आज के बाद से
ताउम्र के लिए
न जाने कौनसी सिगरेट अंतिम हो
न जाने कौनसी सांस
आई. सी. यू. के बाहर ली गयी
अंतिम सांस हो
क्या पता किसी दिन उठूँ और
और
इस वजह से सोये रहना चाहता हूँ
इस वजह से अत्तीत में खोया रहना चाहता हूँ

शनिवार, 5 जुलाई 2014

Method Acting

एक नाटक में अभिनय करना
मात्र अभिनय करना है
अपने अभिनय से प्रेम करना
प्रेम का अभिनय करना
रोने का पूर्वाभ्यास 
पूर्वाभ्यास का रोना
अवसाद का दृश्य
दृश्य का अवसाद
मृत्यु का पटाक्षेप

एक वक्त भी एहसास न होने देना कि यह अभिनय है
जीवंत अभिनय है

इश्वर की आराधना करें
प्रकट हो जाए वो
एक वरदान का अभिनय
अभिनय का वरदान
पूर्णत्व की आकाँक्षा



I Remember My Future

मैं, मैं ही हूँ
बिना किसी के जीवन को प्रभावित किये
'शुद्ध मैं'
जब मैं कहता हूँ कि मैं एक हफ़्ते बाद आत्महत्या कर लूँगा
तो मैं नहीं चाहता कि मेरा इंतज़ार किया जाय एक हफ्ते तक
क्यूंकि मैं आज ही आत्महत्या कर चुका एक हफ़्ते बाद
जब मैं कहता हूँ कुछ भी
मैं जी रहा होता हूँ वो सब कुछ
जब मैं होता हूँ कोई और
तो मैं वो ही होता हूँ
मैं मैं ही होता हूँ
अन्यथा नहीं

सत्य पता लगने पर ही असत्य ज्ञात होगा तुम्हें
अतः स्वप्न देखे जाने वाले क्षणों में वास्तविकता हैं
निजी स्वप्न किसी भी दशा में देखे जाने चाहिए

जिस तरह भविष्य याद है अब भी मुझे
उस तरह सन 2003 में समझ आएगी तुम्हें ये बात

बहने दो इस ऑरा में अपनी सारी नफरतें...

प्रेम की एक्सट्रीम क्या है
डूबकर नफ़रत करना

नफ़रत न की तो प्रेम झूठ था तुम्हारा
प्रेम का डायल्यूटेड वर्ज़न था वो सिम सिम कर जलना

अरे
प्रेम के एहसास इतने प्योर थे जब
तो नफरतों को क्या हुआ तुम्हारी?

"जहाँ ऊंचाई होगी तो निचाई भी होगी" कहकर
क्लिशे मत करो ये बात
ऊंचाई के वजह से ही तो निचाई है
गहराई है
जितना ऊँचा होगा तुम्हारा प्रेम
उतनी ही गहरी होनी चाहिए तुम्हारी नफरतें

मैं उन्हें पाखंडी समझता हूँ जो कहते हैं
उनके ह्रदय में प्रेम ही प्रेम है

खून करने की 'सोचो' प्रेम करने की नहीं।
प्रेम स्वतः 'होगा' इस तरह
जला देने की सोचो ये दुनियां
यूँ बस जाए शायद वो

जानो नफ़रत को
वो जानते ही समाप्त हो जायेगी
वो जानकर ही समाप्त होगी
जिस युग का इतिहास युद्ध होगा
प्रेम कविताएँ होंगी उस युग का साहित्य
वही धर्म कहेगा प्रेम की बात
जो धर्म नफ़रत से भरा धर्म होगा

तुमको देखकर आश्चर्य होता है
जब तुम कहते हो
सर्वे भवन्तुः सुखिना
अस्तु तुम दुनियाँ के सबसे दुखी लोग हो

यकीन करो जान जाओगे एक दिन प्रेम
असली प्रेम
ख़ालिस प्रेम
मगर पहले
खुलकर बोलो नफ़रतों के बारे में

मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना

भूला दिए गये की सफलता इस बात पर निर्भर है कि
क्या भूले ये कभी याद न आये
फ़िर भी मुझे याद है कि मैं भूल चूका हूँ
रात के वक्त की रजनीगन्धा की खुश्बू
कोई चीज़ अचानक याद आना
अचानक से कोई दूसरी चीज़ भूल जाना होता है
जब उन्हें याद हो आई 'बरसने' की
ठीक तब बादल भूल गये थे 'न बरसना'
और यूँ भीग जाने के दौरान 
मुझे याद आया कि मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना।

मुझे हमेशा से पता था कि
इसे भूला जा सकता है
बीवी की चिक चिक और बच्चों की खट पट के बीच
इसी वजह से
मैं कभी नहीं भूलता था इसे
आज बीवी की चिक चिक नहीं थी चूँकि
और नहीं थी बच्चों की खट पट भी
इसलिए देखो तो ज़रा
मुझे भी याद न रहा कि मैं भूल सकता हूँ
और यूँ
मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना।

कितनी ही तो चीजें हैं
कितनी ही बातें
सोचने पर उन सबका भूलना याद आए शायद
जैसे मैं भूल चूका हूँ
पॉपिंस में से केवल नीली गोली चुनना
एक निश्चित रास्ते चलते जाने के कारण
भूल चूका हूँ रास्ता भूल जाना
दिन और रात की असीमित तीव्रता के कारण
शाम का होना भूल चुकी है शाम
भूल चुका हूँ बारिश में भीगना
क्यूंकि कभी नहीं भूलता छतरी ले जाना।

सड़क पार करना दो तरह से भूला जा सकता है
एक, सड़क पार ही न करना
दूसरा, सड़क पार करके भूल जाना कि हम दूसरी ओर हैं
मैं इस दूसरी तरह से हर चीज़ भूल चूका हूँ
जैसे प्रेम, जीना और सिगरेट पीना

कहते हैं कि ध्यान में रहते हुए
नहीं पी जा सकती सिगरेट
जैसे होश में रहते हुए नहीं किया जाता प्रेम
नहीं जिया जा सकता ये जानते हुए कि जी रहे हैं।

जब मुझे याद रहता था कि छतरी लेकर जाना है
मेरे अन्तःमन में छतरी ले जाने की कोई पूर्व स्मृति रहती थी
कुछ याद रखना हमेशा पुनरावृति है
किन्तु कुछ भूल जाना हमेशा पहली बार ही होता है
बेशक मैं कहता हूँ कि
'फ़िर' भूल जाता हूँ छतरी ले जाना
लेकिन पिछली बार भूला था
ये याद नहीं
यूँ मैं हर बार पहली बार भूलता हूँ छतरी भूलना

नीली छतरी ले जाना
नहीं होता पीली छतरी ले जाना
मगर छतरी भूलना
मात्र भूलना होता है
कुछ याद रखने में
बना रहता है कुछ भूल जाना
किन्तु कुछ भूलना
शुद्ध रूप से भूलना होता है

भूलते जाना सब कुछ
और सब कुछ भूल जाना
और अंततः ये भी भूल जाना कि भूल गये
मोक्ष है
बस ये भी न याद रहे किन्तु कि ये मोक्ष है

कई बार मोक्ष की प्राप्ति के लिए
जान बूझ कर
फ़िर फ़िर भूलता हूँ छतरी ले जाना
किन्तु जान बूझ कर कोई चीज़ भूल नहीं सकते
इसलिए छतरी भूलने से मुझे आज तक मोक्ष नहीं मिला

भीगने न भीगने के बीच
प्रार्थना भर का अंतर होता है
इबादत में उठे हाथ
खुली हुई छतरी सरीखे अर्ध चन्द्राकार होते हैं
प्रार्थनाएं बरसात को रोकती नहीं
वे कभी भी इतनी कमज़ोर नहीं कि
विस्थापित कर दें द्रोणागिरि
इसलिए वे अत्यंत निजी रूप से
आपको भर बचाए रखती हैं
हर कोई भूलता जा रहा है छतरियां ले जाना
प्रार्थनाएं टंगी रहती हैं
बंद किसी खूँटी में
मन्दिर बंद हैं मन्दिरों में

मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना
लेकिन मैं नहीं भूल सकता छतरी ले जाना
मैं भूल जाता हूँ
पर...
...मैं भूल नहीं सकता।

कैफ़े कैपचीनो

तेरा लम्स ऐ तवील कि जैसे कैफ़े कैपचीनो
ऊपरी तौर पर
ज़ाहिर है जो उसका
वो कितना फैनिल
कितना मखमली
यूँ कि होठों से लगे पहली बार वो चॉकलेटी स्वाद कभी
तो यकीं ही न हो
कुछ छुआ भी था
क्या कुछ हुआ भी था?
जुबां को अपने ही होठों से फ़िराकर 
उस छुअन की तसल्ली करता रहा था दफ़'तन
कुछ नहीं और कुछ-कुछ के बीच का कुछ
एक जाज़िब सा तसव्वुफ़

तेरा लम्स ऐ तवील
और उसकी पिन्हाँ गर्माहट
जुबां जला लिया करता था
उस न'ईम त'अज्जुब से कितनी ही दफ़े

जब भी होती थी
पहली बार में कहाँ नुमायाँ होती थी वो

तेरा लम्स ऐ तवील
जिसका ज़ायका उसके मीठेपन से न था कभी
उम्मीदों की कड़वी तासीर हमेशा रही थी
बहुत देर तक
आज तक चिपकी हुई है रूह से जो

तेरा लम्स ऐ तवील
बेशक माज़ी की नीम बेहोशी का चस्मक
मगर जिसने ख्वाबों के हवाले किया हर बार

बस इख़्तियार नहीं रहता
इसलिए, उसे जज़्ब कर लिया
आख़िरी घूँट तक
वरना यूँ तो न था कि तिश्नगी कमतर हुई हो उससे

तेरा लम्स ऐ तवील
कि जैसे कैफ़े कैपचीनो



लम्स-ऐ-तवील: दीर्घ स्पर्श, तिश्नगी: प्यास, तसव्वुफ़: mystical, त'अज्जुब: आश्चर्य, न'ईम: आनंद, चस्मक: Disillusion, जाज़िब-मनमोहक

फेसबुक भी उतना ही वर्च्युअल है जितना जिंदगी

जब से तुम जानते हो तभी से उस चीज़ का अस्तित्व होता है

दर्पण में बनने वाला प्रतिबिम्ब
वहाँ हमेशा ही होता है
कभी कनखियों से देखना
धीरे धीरे दबे पाँव जाकर
उसकी चोरी पकड़ लोगे तुम
तुम पहले से ही मौजूद थे वहाँ

आंसू की पहली बूंद इसलिए मीठी होती है
क्यूंकि उसका स्वाद होठों तक नहीं पहुंच पाता
कभी बस एक बूँद रोकर देखना

तुम जब घर में ताला लगा के घुमने जाते हो
गायब हो जाता है सारा सामान भी
कभी चुपके से बिन बताये आना
कुछ नहीं मिलेगा वहाँ
घर भी नहीं

कभी हुआ है ऐसा कि अनजाने में
तुमने दूसरी ही चाबी से खोल डाला ताला
कितनी ही बार तो हुआ है कि
तुम सोये घर में उठे ट्रेन की किसी बर्थ में
तुमने पूछा फिर तुम कैसे आये यहाँ
और किसी बहाने ने बनाई रखी कंटीन्यूटी

लॉकर में रखा सामान इतनी सिक्युरिटी के बावज़ूद
वहाँ तुम्हारे देखने के बाद ही उपस्थित होता है

तुम जानते हो कि तुम पचासवीं मंजिल से कूद नहीं सकते
इसलिए वहाँ से केवल मरने के वास्ते कूदते हो
वरना लियोनार्डो को कभी चोट न लगती
वरना कीड़े खाकर उड़ने लगती
न्यूटन की बहन

तुमने जाना है समय को
जैसा उन्होंने तुम्हें बताया
वरना तुम्हारे पास जीने के अनंत क्षण होते
तुमने जाना है रंग
वरना कोई लाल भी कभी लाल होता है भला
तुमने जाने हैं शब्द
इसलिए तुम्हें फूलों की नस्ल जाननी है
और उच्चारित करना है 'अवसाद'

तुम्हारे कोंस्पेट, तुम्हारा विज्ञान बड़ा रुढ़िवादी है

जैसे फेसबुक में कोई लाइक का बटन दबाये
और तुम आनन्दित होते हो
वैसा ही है तुम्हारा प्रेम
और ये बुरा नहीं

फेसबुक भी उतना ही वर्च्युअल है जितना जिंदगी

पानी का गीला होना ज़ादू नहीं अगर
तो हवा में लटके रहना भी असम्भव नहीं।