शनिवार, 5 जुलाई 2014

Method Acting

एक नाटक में अभिनय करना
मात्र अभिनय करना है
अपने अभिनय से प्रेम करना
प्रेम का अभिनय करना
रोने का पूर्वाभ्यास 
पूर्वाभ्यास का रोना
अवसाद का दृश्य
दृश्य का अवसाद
मृत्यु का पटाक्षेप

एक वक्त भी एहसास न होने देना कि यह अभिनय है
जीवंत अभिनय है

इश्वर की आराधना करें
प्रकट हो जाए वो
एक वरदान का अभिनय
अभिनय का वरदान
पूर्णत्व की आकाँक्षा



I Remember My Future

मैं, मैं ही हूँ
बिना किसी के जीवन को प्रभावित किये
'शुद्ध मैं'
जब मैं कहता हूँ कि मैं एक हफ़्ते बाद आत्महत्या कर लूँगा
तो मैं नहीं चाहता कि मेरा इंतज़ार किया जाय एक हफ्ते तक
क्यूंकि मैं आज ही आत्महत्या कर चुका एक हफ़्ते बाद
जब मैं कहता हूँ कुछ भी
मैं जी रहा होता हूँ वो सब कुछ
जब मैं होता हूँ कोई और
तो मैं वो ही होता हूँ
मैं मैं ही होता हूँ
अन्यथा नहीं

सत्य पता लगने पर ही असत्य ज्ञात होगा तुम्हें
अतः स्वप्न देखे जाने वाले क्षणों में वास्तविकता हैं
निजी स्वप्न किसी भी दशा में देखे जाने चाहिए

जिस तरह भविष्य याद है अब भी मुझे
उस तरह सन 2003 में समझ आएगी तुम्हें ये बात

बहने दो इस ऑरा में अपनी सारी नफरतें...

प्रेम की एक्सट्रीम क्या है
डूबकर नफ़रत करना

नफ़रत न की तो प्रेम झूठ था तुम्हारा
प्रेम का डायल्यूटेड वर्ज़न था वो सिम सिम कर जलना

अरे
प्रेम के एहसास इतने प्योर थे जब
तो नफरतों को क्या हुआ तुम्हारी?

"जहाँ ऊंचाई होगी तो निचाई भी होगी" कहकर
क्लिशे मत करो ये बात
ऊंचाई के वजह से ही तो निचाई है
गहराई है
जितना ऊँचा होगा तुम्हारा प्रेम
उतनी ही गहरी होनी चाहिए तुम्हारी नफरतें

मैं उन्हें पाखंडी समझता हूँ जो कहते हैं
उनके ह्रदय में प्रेम ही प्रेम है

खून करने की 'सोचो' प्रेम करने की नहीं।
प्रेम स्वतः 'होगा' इस तरह
जला देने की सोचो ये दुनियां
यूँ बस जाए शायद वो

जानो नफ़रत को
वो जानते ही समाप्त हो जायेगी
वो जानकर ही समाप्त होगी
जिस युग का इतिहास युद्ध होगा
प्रेम कविताएँ होंगी उस युग का साहित्य
वही धर्म कहेगा प्रेम की बात
जो धर्म नफ़रत से भरा धर्म होगा

तुमको देखकर आश्चर्य होता है
जब तुम कहते हो
सर्वे भवन्तुः सुखिना
अस्तु तुम दुनियाँ के सबसे दुखी लोग हो

यकीन करो जान जाओगे एक दिन प्रेम
असली प्रेम
ख़ालिस प्रेम
मगर पहले
खुलकर बोलो नफ़रतों के बारे में

मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना

भूला दिए गये की सफलता इस बात पर निर्भर है कि
क्या भूले ये कभी याद न आये
फ़िर भी मुझे याद है कि मैं भूल चूका हूँ
रात के वक्त की रजनीगन्धा की खुश्बू
कोई चीज़ अचानक याद आना
अचानक से कोई दूसरी चीज़ भूल जाना होता है
जब उन्हें याद हो आई 'बरसने' की
ठीक तब बादल भूल गये थे 'न बरसना'
और यूँ भीग जाने के दौरान 
मुझे याद आया कि मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना।

मुझे हमेशा से पता था कि
इसे भूला जा सकता है
बीवी की चिक चिक और बच्चों की खट पट के बीच
इसी वजह से
मैं कभी नहीं भूलता था इसे
आज बीवी की चिक चिक नहीं थी चूँकि
और नहीं थी बच्चों की खट पट भी
इसलिए देखो तो ज़रा
मुझे भी याद न रहा कि मैं भूल सकता हूँ
और यूँ
मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना।

कितनी ही तो चीजें हैं
कितनी ही बातें
सोचने पर उन सबका भूलना याद आए शायद
जैसे मैं भूल चूका हूँ
पॉपिंस में से केवल नीली गोली चुनना
एक निश्चित रास्ते चलते जाने के कारण
भूल चूका हूँ रास्ता भूल जाना
दिन और रात की असीमित तीव्रता के कारण
शाम का होना भूल चुकी है शाम
भूल चुका हूँ बारिश में भीगना
क्यूंकि कभी नहीं भूलता छतरी ले जाना।

सड़क पार करना दो तरह से भूला जा सकता है
एक, सड़क पार ही न करना
दूसरा, सड़क पार करके भूल जाना कि हम दूसरी ओर हैं
मैं इस दूसरी तरह से हर चीज़ भूल चूका हूँ
जैसे प्रेम, जीना और सिगरेट पीना

कहते हैं कि ध्यान में रहते हुए
नहीं पी जा सकती सिगरेट
जैसे होश में रहते हुए नहीं किया जाता प्रेम
नहीं जिया जा सकता ये जानते हुए कि जी रहे हैं।

जब मुझे याद रहता था कि छतरी लेकर जाना है
मेरे अन्तःमन में छतरी ले जाने की कोई पूर्व स्मृति रहती थी
कुछ याद रखना हमेशा पुनरावृति है
किन्तु कुछ भूल जाना हमेशा पहली बार ही होता है
बेशक मैं कहता हूँ कि
'फ़िर' भूल जाता हूँ छतरी ले जाना
लेकिन पिछली बार भूला था
ये याद नहीं
यूँ मैं हर बार पहली बार भूलता हूँ छतरी भूलना

नीली छतरी ले जाना
नहीं होता पीली छतरी ले जाना
मगर छतरी भूलना
मात्र भूलना होता है
कुछ याद रखने में
बना रहता है कुछ भूल जाना
किन्तु कुछ भूलना
शुद्ध रूप से भूलना होता है

भूलते जाना सब कुछ
और सब कुछ भूल जाना
और अंततः ये भी भूल जाना कि भूल गये
मोक्ष है
बस ये भी न याद रहे किन्तु कि ये मोक्ष है

कई बार मोक्ष की प्राप्ति के लिए
जान बूझ कर
फ़िर फ़िर भूलता हूँ छतरी ले जाना
किन्तु जान बूझ कर कोई चीज़ भूल नहीं सकते
इसलिए छतरी भूलने से मुझे आज तक मोक्ष नहीं मिला

भीगने न भीगने के बीच
प्रार्थना भर का अंतर होता है
इबादत में उठे हाथ
खुली हुई छतरी सरीखे अर्ध चन्द्राकार होते हैं
प्रार्थनाएं बरसात को रोकती नहीं
वे कभी भी इतनी कमज़ोर नहीं कि
विस्थापित कर दें द्रोणागिरि
इसलिए वे अत्यंत निजी रूप से
आपको भर बचाए रखती हैं
हर कोई भूलता जा रहा है छतरियां ले जाना
प्रार्थनाएं टंगी रहती हैं
बंद किसी खूँटी में
मन्दिर बंद हैं मन्दिरों में

मैं फ़िर भूल जाता हूँ छतरी ले जाना
लेकिन मैं नहीं भूल सकता छतरी ले जाना
मैं भूल जाता हूँ
पर...
...मैं भूल नहीं सकता।

कैफ़े कैपचीनो

तेरा लम्स ऐ तवील कि जैसे कैफ़े कैपचीनो
ऊपरी तौर पर
ज़ाहिर है जो उसका
वो कितना फैनिल
कितना मखमली
यूँ कि होठों से लगे पहली बार वो चॉकलेटी स्वाद कभी
तो यकीं ही न हो
कुछ छुआ भी था
क्या कुछ हुआ भी था?
जुबां को अपने ही होठों से फ़िराकर 
उस छुअन की तसल्ली करता रहा था दफ़'तन
कुछ नहीं और कुछ-कुछ के बीच का कुछ
एक जाज़िब सा तसव्वुफ़

तेरा लम्स ऐ तवील
और उसकी पिन्हाँ गर्माहट
जुबां जला लिया करता था
उस न'ईम त'अज्जुब से कितनी ही दफ़े

जब भी होती थी
पहली बार में कहाँ नुमायाँ होती थी वो

तेरा लम्स ऐ तवील
जिसका ज़ायका उसके मीठेपन से न था कभी
उम्मीदों की कड़वी तासीर हमेशा रही थी
बहुत देर तक
आज तक चिपकी हुई है रूह से जो

तेरा लम्स ऐ तवील
बेशक माज़ी की नीम बेहोशी का चस्मक
मगर जिसने ख्वाबों के हवाले किया हर बार

बस इख़्तियार नहीं रहता
इसलिए, उसे जज़्ब कर लिया
आख़िरी घूँट तक
वरना यूँ तो न था कि तिश्नगी कमतर हुई हो उससे

तेरा लम्स ऐ तवील
कि जैसे कैफ़े कैपचीनो



लम्स-ऐ-तवील: दीर्घ स्पर्श, तिश्नगी: प्यास, तसव्वुफ़: mystical, त'अज्जुब: आश्चर्य, न'ईम: आनंद, चस्मक: Disillusion, जाज़िब-मनमोहक

फेसबुक भी उतना ही वर्च्युअल है जितना जिंदगी

जब से तुम जानते हो तभी से उस चीज़ का अस्तित्व होता है

दर्पण में बनने वाला प्रतिबिम्ब
वहाँ हमेशा ही होता है
कभी कनखियों से देखना
धीरे धीरे दबे पाँव जाकर
उसकी चोरी पकड़ लोगे तुम
तुम पहले से ही मौजूद थे वहाँ

आंसू की पहली बूंद इसलिए मीठी होती है
क्यूंकि उसका स्वाद होठों तक नहीं पहुंच पाता
कभी बस एक बूँद रोकर देखना

तुम जब घर में ताला लगा के घुमने जाते हो
गायब हो जाता है सारा सामान भी
कभी चुपके से बिन बताये आना
कुछ नहीं मिलेगा वहाँ
घर भी नहीं

कभी हुआ है ऐसा कि अनजाने में
तुमने दूसरी ही चाबी से खोल डाला ताला
कितनी ही बार तो हुआ है कि
तुम सोये घर में उठे ट्रेन की किसी बर्थ में
तुमने पूछा फिर तुम कैसे आये यहाँ
और किसी बहाने ने बनाई रखी कंटीन्यूटी

लॉकर में रखा सामान इतनी सिक्युरिटी के बावज़ूद
वहाँ तुम्हारे देखने के बाद ही उपस्थित होता है

तुम जानते हो कि तुम पचासवीं मंजिल से कूद नहीं सकते
इसलिए वहाँ से केवल मरने के वास्ते कूदते हो
वरना लियोनार्डो को कभी चोट न लगती
वरना कीड़े खाकर उड़ने लगती
न्यूटन की बहन

तुमने जाना है समय को
जैसा उन्होंने तुम्हें बताया
वरना तुम्हारे पास जीने के अनंत क्षण होते
तुमने जाना है रंग
वरना कोई लाल भी कभी लाल होता है भला
तुमने जाने हैं शब्द
इसलिए तुम्हें फूलों की नस्ल जाननी है
और उच्चारित करना है 'अवसाद'

तुम्हारे कोंस्पेट, तुम्हारा विज्ञान बड़ा रुढ़िवादी है

जैसे फेसबुक में कोई लाइक का बटन दबाये
और तुम आनन्दित होते हो
वैसा ही है तुम्हारा प्रेम
और ये बुरा नहीं

फेसबुक भी उतना ही वर्च्युअल है जितना जिंदगी

पानी का गीला होना ज़ादू नहीं अगर
तो हवा में लटके रहना भी असम्भव नहीं।

सबसे बड़ी अभिव्यक्ति आंसूओं को नहीं माना जाना चाहिए

खुद को ताउम्र सहन करना 
बने रहना ख़ुद के साथ हमेशा 
कभी खुद को भूला न पाए
कभी खुद की याद न आये 
अपने को खोजना दरअसल घुप्प अँधेरे में सुई खोजना नहीं 
वो है अँधेरा खोजना 

अपना होना बाकी सब की अनुपस्थिति मात्र है 
इससे अधिक कुछ नहीं
इतना सा भी नहीं 

कान बंद करके सुना जा सकता है जिसे
आँख बंद करके देखा जा सकता है उसे
महसूस किया जा सकता है जिसका स्पर्श
सारी सम्वेदनाओं को नकार के

असत्य है ये कथन कि मैं उदास हूँ
मैं खुद को खुद ही उदास करता हूँ,
मेरे पास मेरा कोई विकल्प नहीं
मृत्य भी नहीं
आत्महत्या करना भी खुद की उम्मीद करना ही है
अपने को स्वीकारना.

कुछ लिखने या कहने से अधिक बड़ी अभिव्यक्ति
रोना और चार सौ कविताएँ पढना
अन्यथा कुछ भी तो न पढ़ता
और अगर पढ़ता तो
कोई कविता अधूरी पढ़े बिना नहीं छोड़ता

और जब मैं अपने को जानने के बावज़ूद
प्रेम कर सकता हूँ अपने से
तो कोई कारण नहीं कि फिर मैं किसी और से प्रेम न करूं.
बाकी सब तो फिर भी अपेक्षाकृत कम 'मैं' हैं.

वास्तिवकता करो

कल्पना करो कि तुम नौकरी करते हो
कल्पना करो कि तुम खाते पीते हो
कल्पना करो शादी करते हो
कल्पना करो तुम्हारे बच्चे हैं
मान लो कि तुम्हारा एक परिवार है
मान लो कि हर महीने मकान की ई. एम. आई. भरते हो
और हर वर्ष आई. टी. रिटर्न
समझो ऐसा कि तुम अपनी प्रेमिका को चूमते हो
और बाहों में भरते हो
मई के महीने में तुम पसीने पसीने हो जाते हो
और सोचो कि दिसम्बर में ठिठुरन होती है
कैसा हो कि अमेरिका जैसा कोई राष्ट्र
रशिया से पहले चाँद में पहुंच जाए
और सोचो कोई ऐसा यंत्र जिससे मीलों दूर रहकर भी सुन सको एक दूसरे की आवाज़
किसी सिद्धार्थ का बुद्ध होना सोचो
और सोचो कि एक दिन हम मर जाएंगे
कभी सोचो कि तुम बहुत प्रेम करते हो
और अलगे पल अपने अवसाद सोचो
सोचो कि तुम 'हो'
यकीन करोगे तो सब सच लगने लगेगा तुम्हें एक दिन
कल्पना करो जो नहीं है
कल्पना करो बस वही तो है
बस इसलिए ही तो है।

लव एट दी टाइम ऑव... ...बीइंग इन लव !

मुझे किसी 'कोई नहीं' से प्रेम हुआ चाहता है
किन्तु वो 'कोई नहीं' 'कोई भी नहीं' नहीं है
वो कोई है 
किन्तु वो 'कोई न कोई तो है' नहीं है
वो 'कोई जिसे मैं नहीं जानता' नहीं है
किन्तु 'पता नहीं कौन' तो कतई नहीं है

मुझे बर्फ पड़ने का आनन्द बिना बर्फ पड़े आ रहा है
अब वास्तविकता में बर्फ पड़ जाने के की दशा में अपना आनंद बर्फ के ऊपर आरोपित करना पड़ रहा है
बर्फ का वास्तविकता में पड़ जाना मेरे वास्तविक एहसासों को झुठला दे रहा है
किसी न होने से प्रेम करने के पश्चात
'किसी से भी' या 'किसी से' प्रेम करना अवास्तविक लगता है मुझे
मैंने 'किसी की कल्पना' से नहीं किया प्रेम
अतः कोई हो जाए सामने तो उसकी कल्पना करनी पड़ेगी
किसी स्थूल पर आरोपित हो जाए यदि मेरा प्रेम
तो मेरा प्रेम छद्म हो जाएगा
वाह्य 'न' हो जाना यदि 'हो जाना' हो जाएगा
आंतरिक 'होना' समाप्त हो जाएगा

हीलियम

केवल एक विकल्प होना
कोई विकल्प न होना होता है
जब कहते हैं हम कि हमारे पास एक ही विकल्प था
तब दरअसल हमारे पास कोई विकल्प ही नहीं होता
जीवन के इलावा हमारे पास कोई विकल्प है क्या
जीवन का हमारे इलावा क्या विकल्प?
आदर्श स्थिति किसी विकलांग द्वारा हालिया हादसे में गवाए हाथ हैं
जिनका आभास जब तब उसे होता रहता है।
जीवन विकलांग नहीं होना चाहता
जीवन आदर्श स्थिति चाहता है
और ये न भी हो तो भी
केवल प्रेम के एहसास के आभास को जी लेना चाहता है

प्रेम का भी क्या विकल्प

प्रथम प्रेम करने के लिए दूसरी बार प्रेम करना आवश्यक है

चीजें कितनी आसान होती हैं
समझ जाने के बाद

कर चुकने के बाद 
दोबारा करना
पहली बार करना नहीं होता

इक्यासिवीं बार कोल्ड कॉफ़ी पीना
बारहवीं बार पगडंडी पर चलना
सत्रहवीं बार रोना

जीना पता नहीं कौनसीवीं बार

दिन में दूसरी बार नहाना
पहली बार नहाने के लिए

आखिरी बार आत्महत्या करना

हर बार प्रथम बार प्रेम करने को दोहराना

21 Grams

एक मरा हुआ हिरण चाहता है कि वो
धरा के सभी भेड़ियों की उदर पूर्ती कर सके
हार चुका सैनिक 
आत्मसमर्पण में भी आत्मसम्मान ढूंढ लेता है
कहते हैं कि हर रोटी का भार इक्कीस ग्राम होता है
(आत्मा के भार के बराबर)

हिरण की आत्मा नहीं मरती
सैनिक का आत्मसम्मान नहीं मरता
रोटी का भार नहीं मरता

इन तीन चीज़ों के इलावा भी कई चीज़ें हैं जो नहीं मरती
दरअसल चीज़ों के इलावा कोई चीज़ नहीं मरती
जिन क्षणों में मैं मृत्यु को प्राप्त होऊं
उन क्षणों में मैं चाहूँगा कि तुम किसी दूसरे कमरे में रहने लगो
कहते हैं कि मृत्यु शैय्या में पड़े व्यक्ति के ऊपर
गिरने वाले आंसू कभी नहीं मरते

वे किसी आत्माहीन हिरण का शरीर बनते हैं
या फ़िर किसी सैनिक का आत्मसमर्पण
या एक रोटी के बराबर भार का भार