गुरुवार, 1 जुलाई 2010

प्रेम कवितायेँ

विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं !
हम जल्द ही लिखेंगे तुम्हारे लिए...
'प्रेम कवितायेँ'.

जब,
बौद्धिकता के ऊसर खेत में,
मृत इतिहास के उर्वरक से पोषित,
'पालतू खरपतवार'
के बीच में से ही कोई,
'जंगली फूल' पल्लवित होगा.
जब,
'प्रेम' और 'कविता' का,
कोई भी यौगिक...
खालिस 'प्रेम कविता' होगा.
जब,
'लज्जा' और 'कौमार्यता'...
जैसे शब्दों के,
पुल्लिंग गढ़े जा चुके होंगे.
जब,
एकलव्य और अंगुली-माल के,
अनैतिक सम्बन्ध...
...समाप्त होंगे.
और जब,
लाल स्याही ख़त्म हो चुकी होगी,
 मेगी कि आराधना (लिओनार्डो डा विन्ची ) - यूफिजी, फ्लोरेंस

तब,
सरोकारों को मृत्यु दंड देके,
हम,अपनी कलम की नोक तोड़ देंगे.
हाँ  तब,
हे, विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं !
हम लिखेंगे तुम्हारे लिए...

...आखिर प्रेम कवितायेँ तो 'टूटी कलम' से भी लिखी जा सकती हैं.

41 टिप्‍पणियां:

  1. 'बाप रे' कहना पड़ेगा राईटर

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  2. सानदार प्रस्तुती के लिऐ आपका आभार


    सुप्रसिद्ध साहित्यकार व ब्लागर गिरीश पंकज जीइंटरव्यू पढेँ >>>>
    एक बार अवश्य पढेँ

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  3. Bin maangi duayen poori hoti rahen..ameen!
    Gazab likha hai..waqayi baap re kahne ka man hota hai..

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  4. एक शब्द 'ज़बरदस्त'
    क्या और कुछ कहने की जरुरत है ?

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  5. अरे ये शब्द कहां से ढूढ के लाये हैं बहुत अच्छे.....

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  6. बहुत सुन्दर प्रस्तुति.....

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  7. बहुत ही सशक्त अभिव्यक्तियाँ हैं!
    --
    आभार!

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  8. जब,
    बौद्धिकता के ऊसर खेत में,
    मृत इतिहास के उर्वरक से पोषित,
    'पालतू खरपतवार'
    के बीच में से ही कोई,
    'जंगली फूल' पल्लवित होगा.
    और उस सौन्दर्य में, उस अलग क्षणों में उपजे एहसासों को लिखना मेरे प्रेम का आधार होगा

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  9. कितने ही विरोधाभास उद्घोषित कर गयी यह कविता ।

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  10. जब,
    'लज्जा' और 'कौमार्यता'...
    जैसे शब्दों के,
    पुल्लिंग .............

    hairaan hoon...!

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  11. अपर लेवल की कविता ..नए बिम्ब
    जब,
    'लज्जा' और 'कौमार्यता'...
    जैसे शब्दों के,
    पुल्लिंग गढ़े जा चुके होंगे.
    उस दिन का इंतज़ार मुझे भी है

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  12. दर्पण
    आज तो बहुत ही धमाकेदार प्रस्तुति दी है……………कहाँ से शब्द्कोष बनाया है…………नये नये बिम्बों के साथ एक अनूठी कृति बनायी है………………इसकी प्रशंसा के लिये अब हमे भी एक नया शब्द्कोश गठित करना पडेगा……………इतने दिन बाद आये हो मगर पता लग रहा है कि आये हो।

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  13. First of all darpan "'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
    'ज़िन्दगी' भर चलती है...This is incredible....aapki is baat ne kaafi impress kiya ......ab aate hain aapki kavita par to bolne layak nahi rahe ham....Really this generation Rock ....keep writing

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  14. शायद लिखी जाती हो प्रेम कविताएं टूटी कलम से।
    पता नहीं लेकिन काफी अच्छे भाव है आपकी कविता में... चौंकाते है।

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  15. Haan...
    Ek Prem hai
    Jo Aadam aur Hawwa se pahle bhi tha
    Haan...
    Ek Patra hai
    Jo na likha jaata hai
    Na padha jaata hai
    Jiya jaata hai
    jee bhar kar

    Isi jazbe se saare niraakaar
    Aakaar paate hain
    Har baar

    000

    Khush raho
    Te lammiyaan umraan

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  16. Zindagi bhi kitni lambi hoti hai na ?

    Maut ke bawujood chali aati hai
    Nayi-nayi shaklen aur aklen
    akhtiyaar karke !

    Kaise ?

    Darpan me Darshan karke dekho :
    Shaah ki nayi shakl ki tarah
    Shahanshaah hokar !

    Apne haath ki baat hai Zindagi :

    Maut vasle zindagi ka naam hai
    Maut de-de kar badhaayi ja rahi hai Zindagi !

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  17. शब्द और अर्थ दोनों का कमाल!

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  18. जब,
    नियती के रसायनशास्त्र में,
    नियत की
    'आवर्त सारणी स्तिथि'
    ....निश्चित होगी.


    नियति और नियत के बीच में ही झूल रही है सबके प्रेम की नैय्या
    ये भी देखे
    प्रेम कुछ सवाल

    www.anubhuti-abhivyakti.blogspot.com

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  19. अरेरेरे -- रुको फिर से पढती हूँ--- इन्तजार करती हूँ तुम्हारी उस प्रेम कविता का--- फिर एक ही बार कमेन्ट करूँगी --लेकिन कब तक ---? शायद अभी तक कोई लिख ही नही पाया प्रेम कविता।---- आशीर्वाद।

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  20. विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं....देखो शानदार कविताओं की प्रस्तावना तुम पर लिख दी गयी है एक पोयटिक बुद्ध के द्वारा..अपना-अपना हिस्सा महसूसना तुम्हारा काम है..!

    तुम पर कवितायें लिखना आसान नहीं है..अब देखो ना..वो बौद्धिकता कुछ उपजा नहीं रही ..बस दस्तावेजों पर पिन टाकें जा रही है..

    फिर कोई नंगा मन ही असभ्य हस्ताक्षर कर तुम्हें नेपथ्य से उठाएगा..देख लेना..!

    फिर कोई घाल-मेल नही होगा..जब..नमूने ढेरों होंगे ..पर केवल प्रेम की कविताओं का शिल्प सुरक्षित होगा..!

    इतना " नियत " तब तुम्हारे एहसास ही होंगे ..!

    तब हिंसा के भीतर का लाल सबको लाल ही दिखाई देगा..कोई हरियाली नही ढूंढेगा अपने कपट के लिए..उनमें..!

    शायद तब तक दोनों लिंग परस्पर शास्त्रों का महत्त्व रट चुके होंगे..कोई क्लासिक कनफ्यूजन नहीं होगी..!

    ये चीजें फिर भोजपत्रों पर दर्ज होंगी...सरपत के मानिंद दवात के स्याहियों में तर-बतर होकर...............!


    जिओ दर्पण भाई ..मै तो खुद ही जाने कहाँ पहुच जाता हूँ तुम्हारे शब्दों के साथ...आखिर ऐसा कैसे हो जाता है..यार..!

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  21. कुंवर नारायण को सुन रहा था म्रणाल पांडे के साथ...गुफ्तगुं करते हुए....तभी मालूम चला के वे कितने बड़े व्यक्ति भी है .......उन्होंने एक बात कही ...युद्ध में कवि का जीवित रहना जरूरी है क्यूंकि वही इस युद्ध का असल दस्तावेज है .......जो अगली पीढियों तक इस युद्ध को जिंदा रखेगा .....उसी बातचीत में एक ओर बात जो पांडे ने कही ......वो ये थी .....अपनी ताकत शहीद होने में मत जुटायिये ........




    its one of u r best creation.......hats off...rather this is the post...जिसका पन्ना बुकमार्क करने जैसा है.....

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  22. bhai bahut patience chahiye.. jiski bahut kami hai beharhal keep it up aapka mitra nitin sharma

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  23. husan gulshan hua naa hota dil agar phool saa na hota aadmi ne kaha na hota to bracelet bhi rishta na hota atae jate bata gaya voh mujhe jis trha door mane juda nahi hota usi tarha bracelete utar dene se vo rishta bhi juda na ho kar balki aur karib ho jata hai.. kher aks shayad badal gaya hai tera darshan main bevafah nahi hun aur aakhir main ab yeh mere liye aamkh se khun tapak gaya nitin ab ragon main jama nahi hota....tera dost nitin do not pick up

    जवाब देंहटाएं
  24. brother i really felt the ting of pain while reading "bracelet" keep up the good work proud of you .. nitin

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  25. पढ़ते समय
    होठों के आकार में
    अवांछित परिवर्तन लाते हुए...
    दिखते समय
    आँखों में
    कांच बन चुभते हुए ....
    सोचते समय
    मष्तिष्क में
    अनायास पीड़ा बन, बसते हुए...

    अद्भुत
    विलक्षण
    असहनीय
    सच्चे-सच्चे
    कुछ शब्द........

    हाँ !
    स्वीकारता हूँ !!
    बार बार पढ़ना चाहता हूँ इन्हें ......

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  26. Fir se aaya,,,
    aur abki aur jyada sihran hui..
    और तब,
    हे, विश्व की अभिशप्त प्रेमिकाओं !
    हम लिखेंगे तुम्हारे लिए...
    matlab khali comment box samajhte hain na..
    bharne ke kaabil mere paas shabd hon to bharun na...

    poora stadium khali ho jaaye to bhi main maxican wave chala raha hun, khatarnaak likha hai...

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  27. wonderful............took quite long to read it and understand par jab 1 k baad 1 darwaza khulta raha to pata laga ki surang swayam par hi samapt hogi. vishwa ki abhishapt premikaao me aapne kuch aisa express kiya hai jo me hamesha mehsoos kartaa hoon. yhai ke bine prem ko chuue koi kavita ka aalingan kare to ye anetik avem nazayaz hai... ek baar phis badhai aur surya ki garmi kaisi wah to uski uplabdhata hai....me ise channndo me baantnaa nahi chahata . yeh 1 hai phir bhee sampoorna hai

    जवाब देंहटाएं
  28. जब तक विश्व की प्रेमिकाएं ’प्रेमिका’ बनी रहने के लिये अभिशप्त रहेंगी..तब तक प्रेम-कविताएं छलावा बनती रहेंगी..प्रेम खोजा जाता रहेगा कृषिविज्ञान मे, रसायनशास्त्र मे, सैन्यविज्ञान मे, इतिहास मे, समाजशास्त्र मे..और ऐसा प्रेम बस कल्पनाओं मे मिलता रहेगा..
    बौद्धिकता के ऊसर खेत में,
    मृत इतिहास के उर्वरक से पोषित
    'पालतू खरपतवार'
    के बीच में से ही कोई,
    'जंगली फूल' पल्लवित होगा.

    एक गहरे भँवर सी होती है ऐसी कविताएं..जिनमे अक्सर फ़ँस जाने का डर बना रहता है..
    हाँ अंत मे भी/ही जैसे विकल्प कुछ खटकते हैं..और कौमार्यता के बजाय कौमार्य शब्द का भी इस्तेमाल हो सकता था..

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  29. वो,
    शब्द कोष में,
    'बम'...
    या उस जैसे,
    किसी भी विध्वंसकारी शब्द का,
    उपसर्ग बनना,
    अस्वीकार कर देगा.

    हमें भी उस समय, उस कविता का इन्तजार है

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  30. इन रचनाओं पर टीपने की औकात नहीं हुई है अभी हमारी दर्पण भाई ......सच में कुछ रचनाएं ...पढने ...और सिर्फ़ पढने के लिए होती हैं ....और हम पढते रहेंगें ..जब तक जिंदगी है ..और जिंदगी लम्बी है ..है न..

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  31. जब,
    'लज्जा' और 'कौमार्यता'...
    जैसे शब्दों के,
    पुल्लिंग .............
    !!!!!!!!!!!
    ओह !!!!!!!!!!
    कुछ देर मे आने का मलाल है ......
    दर्पण जी ! किन शब्दों मे कहूँ ?-------
    प्रेमिकाओं को आपके शब्दों के ये मोती चाहिए ही अनिवार्यतः ।

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  32. बहुत सुंदर अभिव्यक्ति...

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  33. तुम्हारे ब्लॉग पर पढ़ी गयी बेहतरीन रचनाओं में से एक ....

    बाप रे :-)

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  34. आखिर प्रेम कवितायेँ तो 'टूटी कलम' से भी लिखी जा सकती हैं..

    कभी कभी प्रेम कविताएँ लिखी नही जी जाती हैं .... और बिना शब्द भी लिखी जाती हैं ...

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  35. एकलव्य और अंगुली-माल के,
    अनैतिक सम्बन्ध...
    ...समाप्त होंगे.
    और जब,
    लाल स्याही ख़त्म हो चुकी होगी,

    बहुत ही सुंदर अभिव्यक्ति..


    Darpan Ji, Apki antar Abhibykti ko pad ker bahut hi achha laga.

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  36. ise maine kai dafa pada hai or kai sathiyon ko padaya bhi..aaj ek dafa or pada to kahe bina nahi reh paayi, anurag sir ne sahi kaha ye panna bookmark karne jaisa hai...

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'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...