सोमवार, 13 जून 2011

अपराध और दंडहीनता


मुझे विश्वास है
एक दिन हमारे सभी अपराध क्षम्य होंगे
अपराधों की बढ़ती गहनता के कारण.
और ऐसा
किसी बड़ी लकीर के खींच दिए जाने सरीखा होगा.
हमारे द्वारा किये गए सामूहिक नरसंहार
क्षम्य होंगे !
किसी 'फ्रेशर' के ए. सी. रूम में लिए गए,
'ब्रेन-स्टोर्मिंग' इंटरव्यू से तुलनात्मक अध्ययन के बाद.
निश्चित ही,
'उफनते उत्साह' के उन कुछ सालों में,
पूरी एक पीढ़ी को,
घेर-घेर के हतोत्साहित किया जाना
सबसे बड़ा पाप है,
नरसंहार 'साली' क्या चीज़ है !

क़यामत के समय
बख्श दिए जायेंगे हमारे 'डकैती' और 'चोरी' के
सभी सफल/असफल प्रयास.
क्यूंकि ईश्वर व्यस्त होगा
कुछ उससे आवश्यक,
बहुत आवश्यक निर्णयों को एग्ज़ीक्यूट करने में.
मसलन...
पादरियों,पंडितों और शेखों को
जलती कढ़ाई में झोंक देने का निर्णय.
मसलन...
राजनेताओं, वैज्ञानिकों और अर्थशास्त्रियों को
उल्टा लटका देने का निर्णय.
मसलन...
न्यायधीशों को...


...ख़ैर छोड़िये !
और ज़ाम का दौर शुरू करिए
क्यूंकि मैं जानता हूँ,
हम सारे नशेडियों को तो
बस एक ही दंड में नाप दिया जाएगा.
दंड बस दस कोड़ों का...
..या बहुत से बहुत बीस !

12 टिप्‍पणियां:

  1. कितना गहरा कटाक्ष किया है……………और सच ही तो कहा है अब इसके बाद तो कुछ कहने को बचा ही नही है।

    जवाब देंहटाएं
  2. काफ़ी तीखी मार ,वो भी बिना किसी मुरौव्वत के ......

    जवाब देंहटाएं
  3. समझ में आता है, क्या पढ़ते हैं. और फिर क्या परिलक्षित होता है. आपकी यही भाषा शैली सबसे अलग करती है आपको. इसे रिज़र्व रखिये. और हमारे भूमिगत कि डायरी से बदल लीजिये.

    जवाब देंहटाएं
  4. शुक्र है...
    समय पर पहुँच गए हम....वरना तो......



    पृष्ठ नहीं मिला
    क्षमा करें, इस ब्लॉग में जिस पृष्ठ को आप खोज रहे हैं ...प्राची के पार ! वह मौजूद नहीं है.


    इस टाईप की खतरनाक पोस्ट से ज़्यादा पाला पड़ता है हमारा .. ..तेरा ब्लॉग क्लिक करने पर..







    कविता सोचनीय है...
    अपने तन को देखकर सोच रहे हैं...कि दस-बीस कोड़े खाने के बाद कैसा महसूस होगा हमें...
    क्या हमारा नया नवेला स्वास्थ्य झेल सकेगा इतना....??

    :)

    जवाब देंहटाएं
  5. और हाँ,

    टिपण्णी कविता पर ही की है हमने ..अपनी तरफ से तो..

    जवाब देंहटाएं
  6. "किसी 'फ्रेशर' के ए. सी. रूम में लिए गए,
    'ब्रेन-स्टोर्मिंग' इंटरव्यू से तुलनात्मक अध्ययन के बाद.
    निश्चित ही,
    'उफनते उत्साह' के उन कुछ सालों में,
    पूरी एक पीढ़ी को,
    घेर-घेर के हतोत्साहित किया जाना
    सबसे बड़ा पाप है,
    नरसंहार 'साली' क्या चीज़ है !"

    लगता है जैसे कितनी जेनेरिक चीज़ हो.. सबने महसूस की हो.. सबने देखी हो.. एल्कोहल के निशान जाया नहीं गये..

    जवाब देंहटाएं
  7. ऐसा कुछ नहीं होगा। क्लिन चिट मिलेगी नरभक्षियों को और सूली पे चढ़ा दिये जायेंगे रोटी चोर।

    जवाब देंहटाएं
  8. जैसे प्रेम की अति के बाद दर्द
    ...और विश्वास की क्या जरूरत..यह प्रकृति का नियम ठहरा.., नर संहार नहीं..मन संहार..रोज कितने कितने मर रहे है मारे जा रहे हैं...सबकुछ माफी के साथ। कोडे तो नशेडियों को ही पडने है..जाम के नशेडिये ही क्यों..नशा तो दिमाग का घोल ही है..., किस्म किस्म के नशेडी..वैसे सच यह कि आकलन करने पर उन कोडो का दर्द कम हो जाता है..इसे कहते हैं प्रीप्लांड..दर्द को कम करने की तैयारी...ज्यादा से ज्यादा बीस ही न...कोई बात नहीं..सह लिया जायेगा....
    देखो, उस मुसोलीनी, या स्टालिन या हिटलर या फिर सद्दाम ..को कितना 'नाम' भी है. 'क्राइम एंड पनिशमेंट' अद्भुत विचार..जो संबल बन जाते हैं...

    -बहुत दिनों दिनों बाद आया भाई, सिर्फ व्यस्तता ही नहीं थी ऊब भी थी..आलस्य था...

    जवाब देंहटाएं
  9. अब 'ब्रेन-स्टोर्मिंग' इंटरव्यू की तैयारी बचपन में ही high order thinking questions जो की क्लास वन से ही शुरु हो जाते है से करा दी जाती है।क्या पता अब सबसे बडा पाप कौन् सा हो।
    ps:आप की बेह्तरीन कविता।

    जवाब देंहटाएं

'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...