चूड़ियों की खनक कानफोडू थीं.
और रास्ते तुम्हारी कलाइयों से पतले.
लेकिन ये बात आखिर में बताई गयी थी उसमें.
इसलिए,
जब कुण्डलिनी जागृत होने को थी,
हम स्वप्न दोष का शिकार हो गए.
जब अक्ल और उम्र की भेंट हो जानी चाहिए थी,
हम नौकरियां ढूंढ रहे थे.
मर जाने से अगर युद्ध जीता जा सकता है तो भी...
कोई भी युद्ध मर जाने के बाद नहीं जीता जाता.
होने, न होने के बीच,
तुम्हारी बुनी स्वेटर में सिले हुए तुम्हारे बाल बराबर का अंतर है.
क्यूंकि मेरे न होने पर,
कुछ भी मायने नहीं रखेगा मेरे लिए.
और 'मेरे-लिए' का होना भी 'न होना' ही होगा.
'हेवी मेटल' में गिटार का टूट जाना ख़त्म हो जायेगा.
और 'ट्रांस' में शब्दों से ज्यादा संगीत का महत्त्व भी.
इम्होटेप के मिस्र का राजा होना 'पूरी तरह से' महत्वहीन होगा मेरे लिए,
जैसे खुद इम्होटेप के न होने के बाद उसके लिए था.
(उसके लिए? उसके... ना होने के बाद? हा !)
...मोनालिसा की मुस्कान मेरे लिए बनाई गयी है.
...बस !
...मेरे !!
...लिए !!!
और मैं जानता हूँ इसका 'होना', इसीलिए ये वाकई है.
देखना >> ध्यान देना >> सोचना >> कुछ करना >> असर होना.
'जंजीर सबसे ज्यादा उतनी मज़बूत होती है, जितनी उसकी सबसे कमज़ोर कड़ी'
इसलिए छोड़ दिया जाना चाहिए था किताब को आधी पढने के बाद.
लेकिन ये बात आखिर में बताई गयी थी उसमें.
चूड़ियों की खनक कानफोडू थीं.
और रास्ते तुम्हारी कलाइयों से पतले.
जब अक्ल और उम्र की भेंट हो जानी चाहिए थी,
हम नौकरियां ढूंढ रहे थे.
मर जाने से अगर युद्ध जीता जा सकता है तो भी...
कोई भी युद्ध मर जाने के बाद नहीं जीता जाता.
बेजोड़ कविता... पहाड़ी पर स्थित किसी मंदिर सी... आपने चढ़ाया भी उतरा भी और बीच बीच में जहाँ आराम किया वहां पथ्थरों पर कला शिल्प की मनमोहक कारीगरी भी मिली... बस !
जवाब देंहटाएं...मेरे !!
...लिए !!!
और
देखना >> ध्यान देना >> सोचना >> कुछ करना >> असर होना.
बस जरा यह पैरा ऊपर से निकला हो गया
लेकिन इसपर...
चूड़ियों की खनक कानफोडू थीं.
और रास्ते तुम्हारी कलाइयों से पतले.
छोड़ दिया जाना चाहिए था किताब को आधी पढने के बाद.
लेकिन ये बात आखिर में बताई गयी थी उसमें.
इसलिए,
जब कुण्डलिनी जागृत होने को थी,
हम स्वप्न दोष का शिकार हो गए.
जब अक्ल और उम्र की भेंट हो जानी चाहिए थी,
हम नौकरियां ढूंढ रहे थे.
मर जाने से अगर युद्ध जीता जा सकता है तो भी...
कोई भी युद्ध मर जाने के बाद नहीं जीता जाता.
होने, न होने के बीच,
तुम्हारी बुनी स्वेटर में सिले हुए तुम्हारे बाल बराबर का अंतर है.
... तो फ़िदा हो गया... अवरोह में भी आराम से नहीं उतर पाया... गाडी रिवर्स में थी.
बेशक बेजोड है हमेशा की तरह्।
जवाब देंहटाएंजान लेकर मानोगे .....???
जवाब देंहटाएंऔर मैं जानता हूँ इसका 'होना', इसीलिए ये वाकई है.
मेरे लिए ये कविता यहाँ तक ही है.......
kuch bhi samajh me nahin aaya sir
जवाब देंहटाएंya meri samajh is layak nahin hai
मर जाने से अगर युद्ध जीता जा सकता है तो भी...
जवाब देंहटाएंकोई भी युद्ध मर जाने के बाद नहीं जीता जाता.
Kya gazab kee baat kah dee...waise to pooree rachana badee gahan hai!
सर,
जवाब देंहटाएंजहां तक मैं सोच सकता हूं यह कविता उस सोच से ऊपर के अर्थॊं को विचार कर लिखी गई है
मुझे इस स्तर को समझ पाने में अभी शायद बर्षों लग जाये
इन पंक्तियों में कोई आकर्षण है जो बार बार पधने को मज्बूर कर रही हैं
""मेरे न होने पर,
जवाब देंहटाएंकुछ भी मायने नहीं रखेगा मेरे लिए.
और 'मेरे-लिए' का होना भी 'न होना' ही होगा.""
मैं तो एक ही अर्थ निकाल सका हूं
एक शास्वत अर्थ
अभी न जाने कितने अर्थ छिपे हैं इन पंक्तियों में
जो मुझसे कह रहे हैं
मुझे भी तो समझो
तुम इतने नसमझ कैसे हो सकते हो
मर जाने से अगर युद्ध जीता जा सकता है तो भी...
जवाब देंहटाएंकोई भी युद्ध मर जाने के बाद नहीं जीता जाता.
मुझे आदि अंत में यही दिखा....!
'जंजीर सबसे ज्यादा उतनी मज़बूत होती है, जितनी उसकी सबसे कमज़ोर कड़ी'
अद्भुत दर्शन होता है, तुम्हारी लेखनी में दर्पण...!!
कुछ लोगो की रचनाएं पढ़ती हूँ तो शक होता है कि ये वही हैं जो मुझसे खिलंदड़े अंदाज़ में बात करते है ????
God bless You.!
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जवाब देंहटाएंलेखक कितना चतुर था किताब के आखिर में बताया ...छोड़ दिया जाना चाहिए था किताब को आधी पढने के बाद.हद्द है...और कवि उस से भी दो कदम आगे...युद्ध कुछ ज्यादा ही नहीं हो रहे?लगता है जो समय शांति का नज़र आता है असल में तब किसी नये युद्ध कि तैयारी चल रही होती है...कमजोर कड़ी भी उतना ही महत्व रखती है.वर्ना ज़ंजीर कितनी भी मज़बूत हो टूट जाती है उस एक कमजोर कड़ी की वजह से..
जवाब देंहटाएंक्यूंकि मेरे न होने पर,
कुछ भी मायने नहीं रखेगा मेरे लिए...तो मोनालिज़ा की मुस्कान भी नहीं रखेगी कोई मायने जो सिर्फ आपके लिए है...पर जब तक आप है तब तक सब मायने रखता है नौकरियां ढूंढे जाना भी....
जीवन के प्रतीकों के माध्यम से व्यक्त जीवन से लुका छिपी का खेल। बहुत सी सुन्दर कविता।
जवाब देंहटाएंइसलिए छोड़ दिया जाना चाहिए था
जवाब देंहटाएंकिताब को आधी पढने के बाद
लेकिन ये बात आखिर में बताई गयी थी उसमें.
ऐसे ही किसी रोज आखिरी सांस के वक़्त ज़िन्दगी कहती है किस तरह जिया जाना चाहिए था... खूबसूरत कविता है, लगभग हर पंक्ति में कमाल है.
फ़ैल गया...
जवाब देंहटाएंgazab ki panktiyan.wah.
जवाब देंहटाएंकुछ बे वजह या कुछ आगे न लिखने की वजह से हुआ या ऐसी ही हुई?? मुझे लगता है..ऐसी ही तो नहीं ही हुई होगी..। हुआ होगा कुछ ऐसा कि बस लिख दी जाये...। जी हां अनुरागजी मेरे पक्ष में पहले ही बोल गये...। कविता बस यहीं तक लगी..." इसलिये ये वाकई है..." बाद में..आप जानें क्योंकि मुझे कुछ सूझा नहीं..। वैसे युद्ध मरने के लिये ही होता है। और जीतना मरने के बाद ही..। चाहे वो विरोधी जीते...। खैर..प्रभावपूर्ण तो है। किंतु मैं स्पष्ट कर दूं कि खूबसूरत कत्तई नहीं है। न इसमें श्रंगार है न सौन्दर्य..। गज़ब भी हुआ दिखता नहीं। यह एक उद्दात्त..या उत्तेजित कर देने वाली या किसी रहस्य को भेदने वाली तीक्ष्ण...। जो चुभती है..ठीक वैसी कि खनक भी कानफोडू लगे...कुछ ऐसी कविता है। कविता है???? न न इसे मैं स्पष्टीकरण मानुंगा..शिकार हो जाने की तरह..। और आखिरी में यह कि कमेंट अधुरा सा लग रहा है। अब लगे..जो लगे..
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