बुधवार, 13 जून 2012

तीस साल का सामान्य आदमी, सामान्य आदमी नहीं होता

अपने को अपने सामने सामान्य सिद्ध करने को,
दोस्तों से बात करते वक्त अनगिनत बार बोला 'भो...' और 'मा...'
चुस्कियां लेते हुए...
सिग्नेचर के दो थर्टी एम. एल.पैग लगाये
...वन फ़ॉर मेडिसन, टू फ़ॉर इंजॉयमेंट .
पैंतीस पन्ने पढ़ चुकने के बाद
फ़िर उठाई 'मेटामॉरफोसिस'.
स्खलित होते वक्त
उस बदसूरत स्त्री से कहा,
"मैं तुमसे असीम प्रेम करता हूँ"
और इस तरह
तीन घंटे में तय किया,"अब मैं शादी शुदा हूँ" से लेकर
"ये सब 'उनको' पता लगा तो" तक का विमेन-साईकोल्ज़ी वाला सफ़र.
ऑनलाइन बुक किये विक्की डोनर के मूवी टिकट.
तुम्हें याद किया और प्रेम को कोसा.
पुरानी वालियों को उनके पतियों  के सर नेम के साथ सर्च किया फ़ेस बुक में.
सिगरेट पीकर जलाई नयी चादर.
ऑटो वाले को
"उसी के घर में घुसकर मारने"
की धमकी दी.
देखीं फटाफट चालीस खबरें और अन्ना या कांग्रेस में से किसी एक का पक्ष लिया.
लोकल चैनल देखते हुए जगा रहा देर तक किसी इरोटिक सीन के इंतज़ार में.
चिपकाए रहा जाती हुई लड़कियों के क्लीवेज में अपनी अतृप्त नज़रें.
यूँ सोचा आदमी और घोड़ा कभी बूढ़े नहीं होते.
धुला बर्तन चुना मैग्गी बनाने को और कल (या शायद परसों) वाले बर्तन में बनाई चाय.
कॉलेज के दोस्तों से फ़ोन में कहा कि मा... सारी लड़कियां (औरतें नहीं) एक सी होती हैं,
(...दोस्तों से बात करते वक्त फ़िर अनगिनत बार बोला 'भो...' और 'मा...')
सस्पेंस नॉवेल का सीरियल किलर पहले ही गैस करके किया सस्पेंस 'किल'
शेविंग उल्टी की.
और इतना सब कुछ करने के बाद भी जो कुछ नहीं कर पाया उनके लिए कहा...
..ये सब तो हम कर के छोड़ चुके बेट्टा !
____________________________________




तीस साल का आदमी अपनी हर काल्पनिकता सत्य के धरातल में पटक पटक कर तोड़ता है और फ़िर उसकी बाकी बची उम्र उन टूटे हुए टुकड़ों को सजोने में बीतती है....
१) पैसा सबसे जरूरी नहीं पर बहुत जरूरी है.
२) हेल्थ इंश्योरेंस में सिगरेट डिक्लेयर करनी है.
३) इश्वर होता है इसलिए मंगलवार को नॉन वेज नहीं खाना चाहिए.
४) शादी से पहले एक बार रौ-सेक्स से एक्सपिरियेंस आ जाएगा.
५) इस उम्र तक कुछ तो बैंक बैलेंस होना ही चाहिए था.
६) औरत को समझना मुश्किल नहीं है.
७) पुरुषत्व का मतलब लड़कियों के दिल में नहीं क्लिट में गुदगुदी करना होता है.
८) आत्महत्या की सोच बड़ी ही अपरिपक्व होती है.
९) इट्ज़ टू अलरी टू गिव अप.


13 टिप्‍पणियां:

  1. तीस साल का आदमी अपनी हर काल्पनिकता सत्य के धरातल में पटक पटक कर तोड़ता है और फ़िर उसकी बाकी बची उम्र उन टूटे हुए टुकड़ों को सजोने में बीतती है....
    १) पैसा सबसे जरूरी नहीं पर बहुत जरूरी है.
    २) हेल्थ इंश्योरेंस में सिगरेट डिक्लेयर करनी है.
    ३) इश्वर होता है इसलिए मंगलवार को नॉन वेज नहीं खाना चाहिए.
    ४) शादी से पहले एक बार रौ-सेक्स से एक्सपिरियेंस आ जाएगा.
    ५) इस उम्र तक कुछ तो बैंक बैलेंस होना ही चाहिए था.
    ६) औरत को समझना मुश्किल नहीं है.
    ७) पुरुषत्व का मतलब लड़कियों के दिल में नहीं क्लिट में गुदगुदी करना होता है.
    ८) आत्महत्या की सोच बड़ी ही अपरिपक्व होती है.
    ९) इट्ज़ टू अलरी टू गिव अप...

    50 पार करते करते न कुछ टूटने को रहता है , न जोड़ने को

    जवाब देंहटाएं
  2. :) हम्म

    अगले दस साल बाद फिर यही पोस्ट लिखोगे.

    १) इतना पैसा कमा कर भी क्या किया, यार दोस्त गवां दिए उनको उधार देकर.
    नॉन-वेज = पता नहीं कब खाया था, यार मेरा कोलेस्ट्रोल बढ़ गया है, डॉ ने मना क्या है.
    हाँ, सेक्स करने का अपना एक अलग मज़ा होता था.
    इस बैंक बैलंस के क्या होगा = बेटा इंटर में ८५% लाया है, न इधर के न उधर के, कम से कम ८-१० लाख देकर बीटेक करवानी होगी.
    औरत = लग रह था कितना आसान है उसे समझना - पर अब पता चला तुलसी बाबा झूठ नहीं बोलते थे.
    पुरुषत्व का असली मतलब फिर यही निकला - दिल में गुदगुदी हो जाए वही बहुत है.
    आत्महत्या = कश शादी से पहले कर ली होती - अब तो बच्चों का मुंह देख कर चुप हो जाते हैं.

    साठे पे पाठा = यही कुछ उम्मीद बाकि है.

    जवाब देंहटाएं
  3. यह टूटे हुए टुकड़े होते तो है पर सजोने की शक्ति कहां शेष होती है।

    जवाब देंहटाएं
  4. तीस साल का आदमी उपस्थित संसाधनों में जीने की सोचना लगता है..

    जवाब देंहटाएं
  5. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  6. .
    .
    .
    क्या कहूँ ... :(

    चीयर अप यार... खूबसूरत है यह दुनिया !




    ...

    जवाब देंहटाएं
  7. आज जिन्दगी ३०-३० का क्रिकेट मैच है...आधी पारी खेलने के बाद अपनी औकात का अन्दाजा तो हो ही जाता है!

    जवाब देंहटाएं
  8. तुम्हें याद किया और प्रेम को कोसा.... at the age of 22..!!

    जवाब देंहटाएं
  9. वर्जनाओं को चुनौती देती रचना..... साहस के लिए बधाई

    जवाब देंहटाएं
  10. i wonder how cum i nvr read ur blog.. anyways, aaj ka dim tumhare blog k naam :)

    Baaki is kavita k baare me yehi dat sumthing dat was hidden behind sum taboo is revealed n blv me itc nt ugly.. its worth encountering wid!!!

    जवाब देंहटाएं
  11. आश्चर्य हे,
    इसमें से सारा झूट निकल देने पर
    अपने न अनुभव किये हुए अनुभवों को भी निकाल देने पर
    और अपनी 30 साल की जिंदगी के सच को संक्षिप्त और संक्षिप्त करने पर
    अगर कुछ बच जाता हे
    तो वो यही हे।।

    मेरी माँ के पूछने पर की केसी लगी (बात चाय की हे )
    मेरा कहना होता हे ""चाय जेसी ""
    में ही में ये मान लेता हु की तारीफ़ पूरी और परफेक्ट है।

    तो बाकी आप कवि हैं । :)

    जवाब देंहटाएं

'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...