शुक्रवार, 20 अगस्त 2010

कविता उम्मीद से है !

डायटिंग और कैरियर के चक्कर में 'वात्सल्य रस' सूख के काँटा हुआ जाता है, 'करुणा' ने एकता कपूर के सीरियल निर्देशित करने शुरू कर दिए,श्रृंगार ने 'दिल्ली-कांड' वाले एम्. एम्. एस. के बाद आत्महत्या कर ली,वियोग दंगों में फ़ना हुआ,'वीर रस' वाली अफगानिस्तान का दौरा कर के आयी है,खिन्नचित्त है ! कविताओं का 'प्रेम रस' किसी गर्भनिरोधक-उत्पाद की टैग लाइन है अब.'वीभत्स रस' से जितनी कविता हो सकती थी,लिख दी गयी है.और इस तरह,कविता का सब कुछ लुट जाने के बाद एक दिन उसे ड्रग्स की लत लग गयी... पागल हो गयी... गालियाँ देने लगी... अपनी गेयता की सारी नजाकत और शिष्टता छोड़ दी.... अपने फ़ेलुन फ़ाईलुन के कपडे फाड़ डाले... अब सुना है वो,अलंकारों के सारे जेवर बेच के राजमा चावल खाती है... बीडी पीती है... एक अजीब से नाम वाले रस 'अवसाद' के साथ अनैतिक सम्बन्ध हैं उसके.....
...लो,
...वो पगली फिर उम्मीद से है !


कविता:
कविता,
मुहावरों में ऊँटों के मार दिए जाने का कारण जानने की 'उत्कंठा' है.
कविता जीरा है...
..जब वो भूख से मरते हैं.
अन्यथा,
पहाड़.

पहाड़...
...चूँकि खोदे जा चुके हैं,
...गिराए जा चुके हैं, ऊँटों के ऊपर.
इसलिए दिख जाती है,
पर समझी नहीं जा सकती.
'कविता लुप्त हुई लिपि का जीवाश्म है.'

पहाड़ खोद के चूहे निकाले जाते हैं,
और, खाया जाता है.
उन चूहों के खाए जा चुकने के बाद...
'आत्म -ग्लानी का मक्का' है कविता.
(कविता पड़ी रहती है...
उदास,
क्यूंकि वो अपने गिरेबान में झांकती है.)

उसके सरोकारों को कोढ़ कहा गया.
जब उसने अंधे की आँख बननी चाही,
अब बस वो राम के बगल में बैठी रहती है,
किसी बाँझ, लड़ाकू मुद्दे सी.
कविता...
पड़ी रहती है,
थक के,
चूर चूर.
...कुत्तों की पूंछ सीधी करने के बाद.

वो घबराती है वहाँ जाने में,
जहाँ,
नौ मन तेल होता है.
बस पड़ी रहती है...
राधा के उतारे जा चुके कपड़ों के बीच में,
इज्ज़त और आत्म सम्मान सी.

क्षेपक

कविता ज़ेहन में अचानक रिंग टोन सी नहीं बज सकती,
क्यूंकि उसका अस्तित्व 'शब्द' है.
वो ज़ेहन में पड़ी रहती है अब बस....
अनरीड मेसेज की तरह कभी डिलीट कर दिए जाने के लिए.

रविवार, 15 अगस्त 2010

रिविज़न ज़िन्दगी

और सुनो...
इसे रिविज़न ज़िन्दगी कहते हैं,
जिसकी लत   मर जाने से भी अच्छी है...
जिसकी सिहरन कब्रिस्तान !
...उंघती हुई मक्खियों के बीच भकोसना...
मोमोज़, आंसू वाली चटनी के साथ.
कुछ सोचने में याददाश्त का गुम ही रहना.
खूब सारी शराब पीकर...
खून की उल्टियाँ करना.
और पेट के हर निचोड़ में,
आँखें बाहर आते हुए देखना...
सिगरेट के इतने लम्बे कश खींचना कि,
दर्द तड़प के माफ़ी मांगे...
"स्मोकिंग किल्स...
...टाइम !!"
अफ़सोस कि हम सृष्टि के सबसे शांत समय में पैदा  हुए.
कुछ न हो पाने की वजह से आत्महत्या कर लेना.
ऐसे ही फॉर अ चेंज !
"४ वर्ष के गुड लक के लिए २० लोगों को फोरवर्ड करें."