शनिवार, 16 नवंबर 2013

पवास्ग



बड़ी प्यारी चीज़ें हैं सब, चलो माना
सारी कि सारी रहेंगी हमेशा, चलो माना
सुख ही सुख है जीवन में, चलो माना
पर, किस तरह छुपाये गए होंगे मृत, मरीज़ और बूढ़े ?
दे लिव हेपिली एवर आफ्टर
लाइफ इज़ गुड
नेवर नेवर नेवर गिव अप
पर,देखना इन बस्तियों को तुम कि वीराँ हो गयीं.
... आनंद उतना ही आसान है जितना जीवन
पूछो मत, सोचो मत
छुओ, देखो, महसूस करो 
वास्तविक पीड़ा सोची नहीं जा सकती, आनन्द भी नहीं.
मैं शब्दों कि सत्ता को नकारता हूँ
नहीं कह सकता मैं
रोने को
बू हू हू हू सुबक सुबक
और मुस्कुराने को
ही-ही-ही
जानती हो मैंने गढ़े है कुछ नए शब्द
पडत, सोप्फं, मफहवे और पवास्ग
इनके मायने तुम लगा सकती हो
प्रेम, इश्वर, सत्य, जीवन
"शब्दों से व्यक्त और अव्यक्त में कोई अंतर नहीं आना"

1 टिप्पणी:

'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...