शनिवार, 16 नवंबर 2013

Revolution Remixed

जब विश्व समाज सुधार की बात कर रहा था
जब पूरे संसार में क्रांतियाँ हो रहीं थीं
जब सारे देश जल रहे थे 
और जब 
एक अनंत काल तक चलने वाले युद्ध की तैयारियाँ चल रही थीं...
...तब मैं प्रेम में था
वो सब मुझे धिक्कार रहे थे
मेरे इस कुकृत्य के लिए
मुझे तब भी लगा
प्रेम सारी समस्याओं का हल है
मैंने एक वैश्या के होठों को चूमा
और एक सैनिक की चिता में दो फूल चढ़ाए
मैंने एक भिखारी के लिए दो आँसूं बहाए
और फिर,
मैं एक अस्सी साल के बूढ़े के बगल में बैठकर बाँसूरी बजाने लग गया
...न मैं कृष्ण था न नीरो



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अगर वादा करते हो कि ये क्रांति अंतिम है
तो भी मैं प्रस्तुत नहीं हूँ इसके लिए
क्यूँकि मुझ देखने हैं इसके दीर्घकालिन परिणाम
अगर कहते हो
ये चैन से बैठने का समय नहीं
और सारे राजनेताओं,कार्परेटों ने छीन ली तुम्हारी रोटी
तो बताओ कहाँ से खरीदे तुमने हथियार ?
जो तुम्हारी आत्महत्याओं के जिम्मेवार थे
तुम बन रहे उनकी हत्याओं के जिम्मेवार
सत्ता में जब तुम आओग
तो क्या एक और क्रांति नहीं होगी
तुम्हारे खिलाफ?
अगर तुम धर्म की खातिर लड़ रहे हो
तो बोलो
तुम्हारे ईश्वर ने क्यूँ बनाए अन्य धर्म
तुम जैसे अच्छे लोगों को ड्रग्स की डोज़ दी है तुम्हारे ईश्वर ने
बोलो कहाँ लड़ा जा रहा है संपूर्ण विश्व केलिए युद्ध
ऑल इन्कलूज़िव
सर्वजन हिताय
है एक ऐसी जगह
लेकिन उसके लिए पहले
बाँसूरी बजाना सीखना होगा

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'ज़िन्दगी' भी कितनी लम्बी होती है ना??
'ज़िन्दगी' भर चलती है...