मैं चाहता हूँ नदी को नदी की तरह लिखना
जिसमें पानी का गीला-पन हो
और बहाव हो
और उसके आस पास हो हरियाली
(बसंत में पीला-पन भी हो)
एक एक डिटेल हो
और वो डिटेल ‘डायनेमिक’ हो
लेकिन ये चित्रकारी न हो
उसमें आवाजें हो कल कल
(‘कल कल’ शब्दशः लिखना भी ‘कल कल’ नहीं है
जैसे
फूल शब्दशः लिखना फूल नहीं है
दुःख को ‘दुःख’ लिखना नहीं होता, ‘दुःख’ को लिख लेना)
हम सफलता प्राप्त कर लेंगे एक दिन त्रिआयामी चल-चित्र बना सकने में,
और भर सकेंगे उसमें गंध और सम्वेदनाएँ
और कल्पनाओं को वास्तविकता के समतुल्य खड़ा कर देंगे
----जैसे आज तक करते आये हैं----
हम सफलता प्राप्त कर लेंगे एक दिन त्रिआयामी चल-चित्र बना सकने में,
जवाब देंहटाएंऔर भर सकेंगे उसमें गंध और सम्वेदनाएँ
और कल्पनाओं को वास्तविकता के समतुल्य खड़ा कर देंगे
----जैसे आज तक करते आये हैं----
bahut hi khoobsurat..